संयुक्त राष्ट्र: पाकिस्तान ने कहा है कि “ कब्जे वाले क्षेत्र में ” असैन्य नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने की बजाए उनका इस्तेमाल मानव ढाल की तरह किया जा रहा है। यह बात कहने के लिए उसने 2017 की एक घटना का स्पष्ट तौर पर संदर्भ दिया जिसमें कश्मीर के पत्थरबाजों के खिलाफ भारतीय सेना ने एक व्यक्ति को “ मानव ढाल ” के तौर पर इस्तेमाल किया था। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी कल ‘ सशस्त्र संघर्ष में असैन्य नागरिकों के संरक्षण ’ विषय पर हो रही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की खुली चर्चा में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि जो असैन्य नागरिक सुरक्षा के प्राथमिक विषय होने चाहिए वह हमलों के मुख्य साधन बन गए हैं। (पाक यूनिवर्सिटी ने जारी किया फरमान, '6 इंच की दूरी' बनाकर रखें लड़के-लड़कियां )
उन्होंने कहा कि असैन्य नागरिकों पर सशस्त्र संघर्ष का प्रभाव अब द्विपक्षीय नुकसान तक सीमित नहीं है। मलीहा ने कहा , “ नियोजित हमले , यौन हिंसा , सेना में जबरन भर्ती और अंधाधुंध हत्याएं ये सब आधुनिक समय के सशस्त्र संघर्ष में मानव की कीमत की बेहद निराशाजनक तस्वीर सामने रखती हैं। ” मलीहा ने कहा कि जिनीवा समझौते का उल्लंघन हो रहा है , मानवीय जीवन के प्रति सम्मान का उल्लंघन किया जा रहा है और कब्जे वाले क्षेत्रों में असैन्य नागरिकों को मानव ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा , “ इससे भी बुरा यह है कि ऐसे अपराधों को अंजाम देने वालों को उनके सैन्य कमानों से सम्मान मिलता है। ” मलीहा ने आरोप लगाया कि “ ऐसे अपराधों ” को फलस्तीन और कश्मीर में अंजाम दिया जाना जारी है।
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