चीनी सेना का दावा, भारत ने डोकलाम क्षेत्र में घुसपैठ की बात स्वीकारी
चीन के विदेश मंत्री ने दावा किया है कि भारत ने चीनी क्षेत्र में घुसने की बात स्वीकार की है। लेकिन उनके दावे के समर्थन में कोई आधार मुहैया नहीं किया गया है।
बीजिंग: चीन के विदेश मंत्री ने दावा किया है कि भारत ने चीनी क्षेत्र में घुसने की बात स्वीकार की है। लेकिन उनके दावे के समर्थन में कोई आधार मुहैया नहीं किया गया है। पहली बार देश के किसी शीर्ष नेता का इस मुद्दे पर बयान आया है। विदेश मंत्री वांग ली ने कल बैंकाक में संक्षिप्त टिप्पणी की, जो उनके मंत्रालय की वेबसाइट पर आज आई है। लेकिन उनके दावे के समर्थन में कोई आधार नहीं मुहैया किया गया है। उन्होंने कहा, सही और गलत बहुत स्पष्ट है। यहां तक कि वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने खुल कर कहा है कि चीनी सैनिक भारतीय सरजमीं में नहीं घुसे हैं। हालांकि, उन्होंने नहीं बताया कि किस अधिकारी ने यह कहा है और कहां कहा है। उन्होंने कहा, दूसरे शब्दों में कहें तो भारत ने चीनी सरजमीं में घुसने की बात कबूल की है। (सीमा पर विवाद के लिए भारत जिम्मेदार, अपने सैनिक वापस बुलाए: चीन)
बहरहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि अनाम अधिकारियों की कथित टिप्पणी ने उन्हें किस तरह इस निष्कर्ष पर पहुंचाया कि भारत सीमा का उल्लंघन करने की बात स्वीकार कर रहा है। विदेश मंत्रालय के वेबसाइट ने वांग के हवाले से कहा, इस समस्या का हल बहुत आसान है, सैनिक वापस बुला लिए जाएं। यह पहला मौका है जब चीन सरकार में उच्च स्तर पर मौजूद किसी व्यक्ति ने इस विवाद पर टिप्पणी की हो। हालांकि, इस विवाद पर सरकारी मीडिया की टिप्पणी रोजाना आती रही है जिसमें राष्ट्रप्रेम की आड में चेतावनियों के साथ भारत को आड़े हाथ लिया जाता है। हालांकि, इस पर भारत सरकार की ओर से कोई फौरी प्रतिक्रिया नहीं आई है। चीनी मीडिया की कमेंट्री और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मांग की है कि भारत तिब्बत के दक्षिणी में स्थित डोकलाम इलाके से अपने सैनिक हटाए। इस इलाके पर भूटान भी दावा करता है।
गौरतलब है कि चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच इस इलाके में महीने भर से अधिक समय से गतिरोध चल रहा है। दरअसल, भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना को इलाके में एक सड़क बनाने से रोक दिया था। चीन का दावा है कि वह अपनी सरजमीं में सड़क बना रहा है। वहीं, भारत ने इसका विरोध किया है, इसने आशंका जताई है कि इससे चीन को भारत का पूर्वोार राज्यों से संपर्क काटने में मदद मिलेगी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया था कि दोनों देशों को किसी वार्ता को होने देने के लिए पहले अपने - अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए। उन्होंने इस गतिरोध का एक शांतिपूर्ण हल निकालने का समर्थन करते हुए यह बात कही। सुषमा ने यह भी कहा था कि भूटान से लगनी वाली दोनों देशों की सीमा के पास यथा स्थिति बदलने के लिए चीन की एकपक्षीय कार्वाई भारत की सुरक्षा को एक गंभीर चुनौती पेश करती है।
डोभाल ब्रिक्स देशों-- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के एनएसए के साथ बैठक के लिए 27-28 जुलाई को बीजिंग की यात्रा पर जाने वाले हैं। इस गतिरोध पर अपने चीनी समकक्ष यांग जाइची के साथ उनके चर्चा करने की संभावना है। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है, डोभाल के दौरे से सीमा पर चल रहे गतिरोध में चीन का रूख नहीं बदलेगा। इसने कहा कि जब तक भारतीय सैनिक नहीं हटते हैं तब तक बीजिंग वार्ता नहीं करेगा। चाईना डेली ने अपने संपादकीय में लिखा है कि अपना रास्ता सुधारने में भारत के लिए कभी भी विलंब नहीं है। उसने संघर्ष से बचने का रास्ता तलाशने पर जोर दिया है। डोभाल के अपने चीनी समकक्ष यांग जियेची से गतिरोध पर चर्चा करने की उम्मीद है। दोनों अधिकारी सीमा वार्ता पर अपने- अपने देशेां के विशेष प्रतिनिधि भी हैं। चाइना डेली ने कहा कि अब भी उम्मीद है कि गतिरोध का शांतिपूर्ण हल हो सकता है, जो दोनों देशों के सर्वश्रेष्ठ हितों की पूर्ति करेगा।
इसने कहा है कि दोनों देशों को टकराव टालने के लिए तरीके खोजने की जरूरत है। हालांकि, ग्लोबल टाइम्स ने अलग ही राग अलापा है। उसने कहा है कि डोभाल को मौजूदा गतिरोध के पीछे एक मुख्य साजिशकर्ता माना रहा है, जबकि भारतीय मीडिया को जारी गतिरोध का हल करने के लिए उनकी यात्रा से ढेरों उम्मीदें हैं। इसने कहा कि नयी दिल्ली को अपना भ्रम छोड़ देना चाहिए और डोभाल की बीजिंग यात्रा निश्चिचत तौर पर भारत की इच्छा के मुताबिक गतिरोध का हल करने का मौका नहीं है।