बीजिंग: चीन ने वर्ष 2020 तक देशभर में बायो-इथेनोल गैसोलीन (जैव-ईंधन) का इस्तेमाल शुरू करने की योजना बनाई है। बुधवार को राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग और राष्ट्रीय ऊर्जा प्रशासन (NEA) ने यह जानकारी दी। NEA के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया, "इस योजना का अनावरण किया गया, क्योंकि देश जैव-ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है, जो नवीकरणीय, लागू करने योग्य और पर्यावरण-अनुकूल है। यह जीवाश्म ईंधन के लिए एक आदर्श विकल्प है।"
हर साल 40 से ज्यादा देश और राज्य 60 करोड़ टन इथेनोल ईंधन का उपयोग कर रहे हैं, जो दुनियाभर के सालाना गैसोलीन का करीब 60 फीसदी है। चीन विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बायो-इथेनोल उत्पादक देश है और एक साल में करीब 20.4 करोड़ टन जैव-ईंधन का उपयोग करता है। योजना के मुताबिक, चीन का लक्ष्य एक उन्नत तरल जैव-ईंधन प्रणाली का निर्माण करना है, ताकि 2020 तक एक ऐसी सुविधा तैयार कर ली जाए, जिससे सालाना 50,000 टन तक सेल्यूलोसिक इथेनोल का उत्पादन करने में चीन सक्षम हो सके।
चीन ने उत्सर्जन में कटौती और नई ऊर्जा को उन्नत करने के प्रयासों के भाग के रूप में वर्ष 2004 में कार्न-टू-इथेनोल पायलट कार्यक्रमों की शुरुआत की थी। यह योजना चीन के उस फैसले को दोहराती है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए जीवाश्म ईंधन कारों के उत्पादन और बिक्री को चरणबद्ध तरीके से हटाने, प्रदूषण को घटाने और जीवाश्म ईंधन ऊर्जा को बचाने की समय सारिणी पर विचार किया जाएगा।
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