बीजिंग: अमेरिका और चीन के बीच इस समय छठी पुीढ़ी के लड़ाकू विमान के उत्पादन के लिए होड़ मची है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई पीढ़ी के युद्धक विमान डिजाइन करने और उनका उत्पादन करने के मामले में अमेरिका की बराबरी करने की कोशिश कर रहा चीन फिलहाल अंकल सैम से कई साल पीछे है। फिलहाल की हकीकत यही है कि छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के मामले में अमेरिकी वायुसेना से चीन का कोई मुकाबला ही नहीं है। समाचार पत्र ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने बुधवार को कहा कि छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के मामले में अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है।
अमेरिका के पास हैं पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी वायुसेना ने कहा है कि उसने एक ऐसा प्रोटोटाइप उड़ाया है, जो मील का पत्थर है और चीन को इसे हासिल करने में अभी कई वर्ष लगेंगे। अमेरिका के पास पांचवीं पीढ़ी के 2 विमान है: ‘लॉकहीड मार्टिन एफ-22’ और ‘एफ-25’। हालांकि चीन विमान के इंजन बनाने के मामले में काफी पीछे है, लेकिन उसने रडार की पकड़ में न आने वाले विमान के साथ ही चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान जे-20 समेत नई पीढ़ी के कई लड़ाकू विमान बनाए हैं। उसके उन्नत विमानों में जे-15 के अलावा सुखोई-27, सुखोई-30केके और सुखोई-35एस समेत रूस के सुखोई विमान शामिल हैं।
चीन के पास भी है एक विमान वाहक पोत
गौरतलब है कि चीन के पास अभी एक विमान वाहक पोत लियाओनिंग है। इसके अलावा देश में बने एक विमान वाहक शानदोंग का परीक्षण चल रहा है और तीसरे विमान वाहक का निर्माण किया जा रहा है। आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन 6 विमान वाहक पोत बनाना चाहता है। हालांकि चीन विमानों के उन्नयन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, लेकिन चीन के नई पीढ़ी के विमान मुख्य रूप से रूसी इंजनों पर निर्भर हैं। चीन के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान चेंगदु जे-20 को 2017 में सेवा में शामिल किया गया था।
‘चीन के पास 2035 तक आएंगे ताकतवर हथियार’
जी-20 का निर्माण करने वाले चेंगदु एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री गुप के चीफ डिजाइनकर वांग हैफेंग ने पुष्टि की है कि चीन ने अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि 2035 में या इससे पहले आप इन प्रयासों को शक्तिशाली हथियारों में बदलते देखेंगे, जो हमारे वायु क्षेत्र की रक्षा करेंगे।’
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