बीजिंग: चीन ने चरमपंथ को रोकने और आंतरिक सुरक्षा के खतरों से निपटने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता पर लगी पाबंदियों को सख्त कर दिया है। चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल की ओर से गुरुवार को संशोधित नियम जारी किए गए हैं। यह कदम उस वक्त उठाया गया है जब चीन में मुस्लिम और ईसाई आबादी पर पहले से ही कई तरह के नियंत्रण हैं। धार्मिक संगठनों के विदेश से अनुदान लेने पर भी रोक लगाई गई है।
चीन का कहना है कि स्थानीय चरमपंथ और इस्लामी कट्टरपंथ से खतरा है, लेकिन आलोचकों का आरोप है कि बीजिंग ने उत्पीड़न, गिरफ्तारियों और अधिकारों के हनन का दायरा बढ़ा दिया है। स्टेट काउंसिल की वेबसाइट पर जारी नियमों की एक प्रति में कहा गया है, कोई भी संगठन या व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, सामाजिक तानेबाने को कमजोर करने जैसी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
धार्मिक समूहों को सरकार के साथ पंजीकृत होना पड़ेगा तथा गैरपंजीकृत संगठनों के स्कूल स्थापित करने पर रोक होगी। गैर-पंजीकृत समूहों को पहले से ही धार्मिक स्थल बनाने पर रोक है। बिना अनुमति के धार्मिक आयोजन करने पर 3 लाख युआन का जुर्माना लगेगा तथा ऐसे आयोजन के लिए जगह मुहैया कराने वालों पर भी 2 लाख युआन का जुर्माना लगेगा।
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