भारत और चीन के बीच पिछले लंबे समय से चल रहे सिक्किम सीमा विवाद ने अब एक नया मोड़ ले लिया है, जिससे भारत की मुश्किले बढ़ती हुई नजर आ रही है। दरअसल मामला यह है कि लंबे समय से चल रहे इस विवाद में भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन नेपाल के पास पहुंच गया है। यदि चीन नेपाल से बात करता है तो भारत की दिक्कतें बढ़ सकती है क्योंकि इस विवादित क्षेत्र में भारत नेपाल के साथ ट्राइजंक्शन शेयर करता है। इसके अलावा नेपाल अब भारत के पड़ोस में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशों में लगा हुआ है। (मिनेसोटा की मस्जिद में नमाज पढ़ने के दौरान बम विस्फोट)
मीडिया से मिली खबरों के अनुसार, चीन के डिप्टी चीफ मिशन ने नेपाल में अपने समकक्ष के डोकलाम मुद्दे पर चर्चा की है। उन्होंने इस बातचीत में चीन की स्थिति को भी स्पष्ट कर दिया है। चीन इस बात पर कायम है कि भारत के साथ किसी भी अर्थपूर्ण बातचीत के लिए भारतीय सैनिकों को डोकलाम से पीछे हटना ही पड़ेगा। चीनी राजनयिकों ने काठमांडू और बीजिंग में इसी मुद़दे पर नेपाल के अधिकारियों के साथ मुलाकात की है।
नेपाल, चीन और भारत के साथ दो ट्राइ-जंक्शन साझा करता है। जिसमें पहला पश्चिमी नेपाल के लिपुलेख में और पूर्वी नेपाल के झिनसांग चुली में है। कालापानी विवादित क्षेत्र में स्थित लिपुलेख हमेशा से नेपाल की असुरक्षा की वजह रहा है। इस हिस्से पर भारत और नेपाल दोनों ही अपना-अपना हक जताते हैं। वर्ष 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के दौरे पर गए थे तो भारत ने चीन के साथ लिपुलेख के जरिए व्यापार बढ़ाने का फैसला किया था। इस फैसले से नेपाल को काफी नाराज हुआ था और नेपाल की संसद में मांग की गई थी कि दोनों देश लिपुलेख का जिक्र अपने साझा बयान से हटाएं क्योंकि यह अंतराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है।
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