चीन ने भारत से स्पष्टिकरण मांगा, कहा साथ LAC पर कोई टकराव नहीं
बीजिंग: पीएलए की ताजा घुसपैठ के बाद भारतीय सरजमीं से एक चीनी कुटिया को सेना द्वारा हटाए जाने की घटना पर तवज्जो न देते हुए चीन ने सोमवार को कहा कि लद्दाख में सीमा पर
बीजिंग: पीएलए की ताजा घुसपैठ के बाद भारतीय सरजमीं से एक चीनी कुटिया को सेना द्वारा हटाए जाने की घटना पर तवज्जो न देते हुए चीन ने सोमवार को कहा कि लद्दाख में सीमा पर कोई टकराव नहीं हुआ है और इस मुद्दे पर भारत से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘जहां तक मैं जानता हूं, सीमावर्ती इलाके में ऐसा कोई आमना-सामना नहीं हुआ।’’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘चीनी सीमा सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी क्षेत्र में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।’’
दरअसल, उनसे लद्दाख के देपसांग में नए गतिरोध के बारे में पूछा गया था जहां भारतीय सैनिकों ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सैनिकों द्वारा बनाई गई एक कुटिया हटा दी। उसमें कैमरा और अन्य उपकरण लगे हुए थे।
प्रधानमंत्री ली केकियांग की 2013 में भारत यात्रा के दौरान पैदा हुए देपसांग गतिरोध के बाद से चीन लगातार यह रुख अपनाता रहा है। उसका कहना है कि पीएलए सैनिक अपनी सीमा की ओर गतिविधियां कर रहे हैं। तब से, लद्दाख क्षेत्र में कुछ और गतिरोध हुए हैं।
पिछले साल चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान चुमार में ऐसा ही एक गतिरोध हुआ था। कई हफ्तों की वार्ता के बाद इसे सुलझा लिया गया।
होंग ने कहा कि चीन सीमावर्ती क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि भारत इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देगा और सीमावर्ती इलाके में शांति एवं स्थिरता कायम रखने के लिए हमारे साथ काम करेगा।’’
चीन के रुख को विस्तार से बताने के लिए जोर डाले जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने जिक्र किया है, चीनी सीमा सैनिक नियंत्रण रेखा के चीनी क्षेत्र में संबद्ध कार्य कर रहे हैं और हम सीमावर्ती इलाके में शांति एवं स्थिरता कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
होंग ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति द्विपक्षीय संबंधों के सतत विकास के लिए एक अहम समर्थन या गारंटी है।
गौरतलब है कि रविवार तड़के भारत तिब्बत सीमा पुलिस और सेना के जवानों ने वह कुटिया ध्वस्त कर दी थी जिसे एलएसी के 1.5 किलोमीटर अंदर बनाया गया था जिसके चलते देपसांग में दोनों पक्षों के बीच आमना-सामना हुआ। यह निर्माण स्थल लेह से 210 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक चीन बुर्तसे इलाके में सड़कें बनाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि यह पीएलए को ओल्ड पेट्रोल अड्डे पर स्थित भारतीय सैनिकों की गतिविधियों की निगरानी करना आसान कर देगा। साथ ही, चीन द्वारा अनधिकृत रूप से कब्जाए इलाके को पाक अधिकृत कश्मीर से जोड़ने वाले काराकोरम राजमार्ग पर चौकसी के लिए भारत को मिलने वाले लाभ को कमतर करेगा।
भारत और चीन एलएसी की 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश में करीब 90,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर दावा करता है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में 38,000 किमी क्षेत्र पर भी दावा करता है।