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चीन-पाकिस्तान दुनिया को धोखा देकर बना रहै हैं जैविक हथियार, ऑस्ट्रेलियाई वेबसाइट का खुलासा

चीन और पाकिस्तान अपने इकोनॉमिक कॉरिडोर और सड़क निर्माण के नाम पर दुनिया को धोखा दे रहे हैं। एक नए खुलासे में सामने आया है कि ये जोनों देश सीपीईसी की आड़ में जैविक हथियार बनाने का काम कर रहे हैं।

China-Pakistan jointly developing bio-weapons since 2015, Wuhan lab working on it- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE (FILE) China-Pakistan jointly developing bio-weapons since 2015, Wuhan lab working on it

नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान अपने इकोनॉमिक कॉरिडोर और सड़क निर्माण के नाम पर दुनिया को धोखा दे रहे हैं। एक नए खुलासे में सामने आया है कि ये जोनों देश सीपीईसी की आड़ में जैविक हथियार बनाने का काम कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की न्यूज़ वेबसाइट क्लाक्सोन ने दावा किया है कि ये हथियार बीते 5 सालों से बनाए जा रहे हैं और इस पूरे खेल में कोरोना वायरस के लिए बदनाम वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी भी शामिल है।

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द क्लाक्सोन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि चीन और पाकिस्तान की सेना ने पिछले महीने चुपके से तीन साल की डील की है। इस डील के तहत वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में संभावित जैविक हथियारों को विकसित करने का समझौता भी शामिल है। इसके साथ ही यह खुलासा भी हुआ है कि वुहान स्थित लैब पाकिस्तान के साथ साल 2015 से ही खतरनाक बैक्टीरिया-वायरस पर प्रयोग कर रही है।

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इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि चीन-पाकिस्तान ने जो डील की है उसका एक हिस्सा सीक्रेट रखा गया है क्योंकि ये जैविक हथियारों से जुड़ा है। चीन और पाकिस्तान ने बॉयो-वारफेयर की क्षमता को बढ़ाने के लिए तीन साल की ये सीक्रेट डील की हुई है और इस पर काम भी शुरू हो गया है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दोनों देशों के वैज्ञानिकों की एक संयुक्त स्टडी बाकायदा मेडिकल जर्नल में छप चुकी है जिसमें इस तरह के खतरनाक वायरस का जिक्र है। यह रिसर्च दिसंबर 2017 से लेकर इस साल मार्च तक की गई थी। इसमें 'जूनोटिक पैथाजंस (जानवरों से इंसानों में आने वाले वायरस)' की पहचान और लक्षणों के बारे में बताया गया है। इस रिसर्च में पाकिस्तान ने वुहान इंस्टीट्यूट को वायरस संक्रमित सेल्स मुहैया कराने के लिए शुक्रिया भी कहा था। इसके साथ ही रिसर्च को सीपीईसी के तहत मिले सहयोग का भी जिक्र किया गया है।

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बता दें कि जैविक और घातक हथियार संधि (बीटीडब्ल्यूसी) लागू होने की 45वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत ने जैविक हथियारों पर प्रतिबंध लगाने का फिर से आह्वान करते हुए तेजी से फैलते कोरोना वायरस और इसके वैश्विक प्रभाव का भी उल्लेख किया था। बिना विस्तृत ब्यौरा दिए विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की संस्थागत मजबूती सहित अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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