बीजिंग: भारतीय राजनयिक गौतम बंबावले ने बुधवार को बीजिंग में कहा कि एक-दूसरे के हितों व आकांक्षाओं को लेकर संवेदनशील होना ही भारत-चीन संबंधों के आगे बढ़ने का प्रमुख आधार है। आठवें भारत-चीन संवाद के दौरान बंबावले ने कहा कि दोनों देशों को अपने मतभेदों को हल करने के लिए एक-दूसरे से स्पष्टवादी होने की जरूरत है। यह संवाद दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध होने की वजह से 2017 में आयोजित नहीं हो सका था। राजनयिक ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान में बीते महीने हुए अनौपचारिक शिखर सम्मेलन को भी याद किया। इसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर खुल कर चर्चा की थी।
बंबावले ने कहा, ‘भारत-चीन संबंधों का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत दूसरे देश की आकांक्षाओं व हितों के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। इस तरह की संवेदनशीलता नहीं रहने पर हम एक-दूसरे से बात तो कर सकते हैं, लेकिन यदि हम दूसरे पक्ष की राय के प्रति संवेदनशील नहीं हैं तो बहुत ही कम प्रगति होगी।’ चीन-भारत के संबंध बीते साल सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के आमने-सामने होने से बुरी तरह प्रभावित हुए थे। दोनों पक्षों ने संकट के हल के बाद संबंधों को सुधारने की कोशिश की है।
राजनयिक ने कहा, ‘हम इन मतभेदों को सिर्फ तभी हल करते सकते हैं जब समय के साथ हम इनके बारे में खुले तरीके से एक दूसरे से बात करे। मैं आशा करता हूं कि अपनी बातचीत के दौरान आप हमारे देशों के झुकाव व अंतर वाले, दोनों क्षेत्रों पर चर्चा करेंगे।’ इस संवाद में दोनों देशों के थिंक टैक से संबद्ध जानकार व विद्वान हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे देखकर बहुत खुशी हुई कि दोनों प्रतिनिधिमंडलों में सेवानिवृत्त रक्षा कर्मी शामिल हैं। मैं भारत व चीन के बीच सैन्य आदान प्रदान के साथ शीर्ष सैन्य कमांडरों के बीच सामरिक संचार की बहाली चाहता हूं। यह भारत-चीन सीमा क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखने के लिए अच्छा होगा।’
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