बीजिंग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ताइवान के लिए एक अरब डॉलर से अधिक के उन्नत हथियारों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। अमेरिका के इस कदम से वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है। जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने अमेरिका की तीन बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंध का ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका की बोइंग डिफेंस, लॉकहीड मॉर्टिन और रेथियॉन अब चीन में कोई व्यापार नहीं कर पाएंगी। इन तीनों कंपनियों के बने हुए हथियारों को ही अमेरिका ने ताइवान को बेचा है।
बता दें कि पहले से ही व्यापार, तिब्बत, हांगकांग और दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों पर चीन और अमेरीका आमने-सामने हैं और ड्रैगन पहले ही अमेरिका को हथियारों को बेचने पर कार्रवाई करने की धमकी दे रहा था। हालांकि उसने पहले कभी नहीं बताया था कि वह किस प्रकार की कार्रवाई करेगा। फिर भी सैन्य जानकारों का मानना था कि चीन भूलकर भी अमेरिका के साथ जंग की सोच भी नहीं सकता है। ऐसे में वह आर्थिक प्रतिबंध की तरफ जाएगा।
चीन ने कहा था कि हथियारों की इस डील से अमेरिका और उनके सशस्त्र बलों के साथ उसके संबंध और खराब हो सकते हैं। अमेरिका ने बुधवार को घोषणा की कि उसने ताइवान को अपनी रक्षा क्षमताओं में सुधार करने के लिए 135 भूमि से दागी जाने वाली मिसाइलों, संबद्ध उपकरणों की बिक्री और प्रशिक्षण को हरी झंडी दिखा दी है।
बयान में कहा गया कि यह पैकेज करीब एक अरब डॉलर का है। मिसाइलें बोइंग द्वारा निर्मित हैं। बयान में कहा गया, ‘‘यह प्रस्तावित बिक्री अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने और विश्वसनीय रक्षात्मक क्षमता बनाए रखने के लिए प्राप्तकर्ता के निरंतर प्रयासों का समर्थन करते हुए अमेरिकी राष्ट्रीय, आर्थिक और सुरक्षा हित में है।’’
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