नई दिल्ली. पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ रही है। चीन से निकला ये वायरस पूरी दुनिया में 6 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। इस बीच खबर ये है कि अपने यहां किसी भी तरह के वायरस लीक को रोकने के लिए चीन अब पाकिस्तान में बायो कैमिकल वारफेयर लैब स्थापित कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, Bio-Warfare क्षमताओं को बढ़ाने के लिए चीन और पाकिस्तान के बीच तीन साल की एक सीक्रेट डील हुई है, जिसमें घातक एंथ्रेक्स से संबंधित कई शोध परियोजनाएं चलाना भी शामिल है।
पता चला है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने पाकिस्तान सैन्य रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन (DESTO) के साथ गुप्त समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत दोनों देश "उभरती संक्रामक बीमारियों" में अनुसंधान का सहयोग करेंगे और संचरित रोगों के जैविक नियंत्रण पर अग्रिम अध्ययन करेंगें। सूत्रों ने बतायाकि ये प्रोग्राम पूरी तरह चीन द्वारा फंड किया जा रहा है और आधिकारिक रूप से इसका नामकरण “Collaboration for Emerging Infectious Diseases and Studies on Biological Control of Vector Transmitting Diseases” किया गया है।
कोरोना की वजह से पूरे दुनिया में बदनाम हो चुका है चीन, अपनी सीमा के बाहर इस तरह के प्रोजेक्ट्स के जरिए आगे किसी भी वायरस लीक की दशा में खुद की साख बचाना चाहता है। DESTO एक गुप्त जैविक हथियार कार्यक्रम के तहत एंथ्रेक्स से संबंधित विभिन्न दोहरे उपयोग वाले अनुसंधान परियोजनाओं में लगा हुआ है। चीन और पाकिस्तान इस गुप्त प्रोजेक्ट के जरिए, Bacillus Thuringiensis (BT) को अलग करने के लिए "सफल soil sampling tests" का आयोजन किया है, जिसमें बेसिलस एन्थ्रेकिस - या एंथ्रेक्स के समान "striking similarity" है।
आपको बता दें कि वुहान लैब पाकिस्तानी वैज्ञानिकों को "पाकिस्तान के अपने वायरस संग्रह डेटाबेस को विकसित करने में मदद करने के लिए" रोगजनकों और जैव-सूचना विज्ञान के हेरफेर पर "व्यापक प्रशिक्षण प्रदान कर रहा था। इसके पीछे चीन के मकसद की एक बड़ी वजह भारत को घेरना है। चीन चाहता है कि पाकिस्तान में इन घिनौने कामों के जरिए अपने नागरिकों को तो सुरक्षित रखे ही बल्कि पाकिस्तान के जरिए भारत को भी उलझाए रखे।
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