बीजिंग: यूरोपीय संघ में चीन के मिशन ने बीजिंग को ‘सुरक्षा चुनौती’ बताने वाले NATO के बयान की मंगलवार को निंदा की। चीन ने कहा कि वह तो वास्तव में शांति के लिए काम करने वाली ताकत है, जो खतरा आने पर स्वयं की रक्षा करेगा। चीन की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि नाटो का बयान ‘चीन के शांतिपूर्ण विकास को बदनाम करने वाला, अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों एवं स्वयं नाटो की भूमिका का गलत आकलन करने वाला है और शीतयुद्ध की सोच तथा संगठनात्मक राजनीतिक मनोवृत्ति को दर्शाने वाला है।’
‘चीन सुरक्षा के लिए चुनौती बना हुआ है’
बता दें कि अमेरिका समेत नाटो के सदस्य देशों ने सोमवार को घोषणा की कि चीन सुरक्षा के लिए लगातार चुनौती बना हुआ है और अंतरराष्ट्रीय नियमों पर आधारित व्यवस्था को कमतर करने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने चिंता जताई कि वह काफी तेजी से परमाणु मिसाइल विकसित कर रहा है। अमेरिका ने चीन को एक विशेष खतरा बताया है, खासकर दक्षिण चीन सागर में और ताइवान के लिए भी, जिसे वह डराने-धमकाने के प्रयास करता रहता है। हालांकि, 30 देशों की सरकार और प्रमुखों ने चीन को प्रतिद्वंद्वी नहीं कहा लेकिन इसकी ‘दबाव वाली नीतियों’ पर उन्होंने चिंता जताई।
चीन पर शिकंजा कसना चाहते हैं बाइडेन
NATO के नेताओं ने चीन की सेना के आधुनिकीकरण के अपारदर्शी तरीकों और सूचना नहीं देने पर भी चिंता जताई। उन्होंने बीजिंग से अपील की कि ‘वह अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखे और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में जिम्मेदारी से काम करे जिसमें अंतरिक्ष, साइबर और समुद्री क्षेत्र शामिल हैं और बड़ी शक्ति के रूप में अपनी भूमिका निभाए।’ यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड, इसके व्यापार व्यहार और इसकी सेना के लगातार दबाव वाले व्यवहार के बारे में एक स्वर में बोलने के प्रयासों को तेज किया है।
‘NATO खुद का एजेंडा सही साबित करना चाहता है’
चीन के मिशन ने कहा कि नाटो के सदस्य देशों के मुकाबले बीजिंग अपनी सेना पर कहीं कम खर्च करता है। उसने आरोप लगाया कि चीन से सैन्य खतरे की कल्पना की आड़ में संगठन अपने खुद के एजेंडा को सही साबित करना चाहता है। मिशन ने कहा कि चीन ‘शांति कायम रखने के अधिकार को कभी नहीं छोड़ेगा लेकिन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा।’
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