बीजिंग: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने कोरोना वायरस संक्रमण के खतरनाक प्रसार पर गंभीर चिंता जाहिर की है। एससीओ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र के तहत समन्वित और समावेशी बहुपक्षीय कोशिशें करने की जरूरत है। कोविड-19 से निपटने में सहयोग पर चर्चा के लिये विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित आठ सदस्यीय एससीओ देशों के विदेश मंत्री बुधवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई बैठक में शामिल हुए।
बैठक के अंत में जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में मजबूत, समन्वित और समावेशी बहुपक्षीय कोशिशें करने की जरूरत है, जिनमें संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था की केंद्रीय भूमिका हो।
मंत्रियों ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ एससीओ की प्रभावी बातचीत पर जोर दिया।
क्षेत्र में जैविक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मंत्रियों ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एससीओ के आगामी सम्मेलन में एससीओ सदस्य देशों की एक व्यापक कार्य योजना स्वीकार करने पर विचार किया।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति स्थल की जांच के लिये वुहान प्रयोगशाला का दौरा करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इजाजत देने की अमेरिकी दबाव के बीच कहा, ‘‘हम दुनिया भर के लोगों से इस विषय को राजनीतिक रंग देने की कोशिशों को खारिज करने की अपील करते हैं।’’
बता दें कि कोरोना वायरस के मुद्दे पर अमेरिका लगातार चीन पर हमले कर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) रॉबर्ट ओब्रायन का कहना है कि पिछले 20 साल में चीन से 5 संकट आ चुके हैं। इस सिलसिले को रोका जाना चाहिए। ओब्रायन ने कहा- सार्स, एवियन फ्लू, स्वाइन फ्लू और कोरोना वायरस चीन से आए। हालांकि, उन्होंने पांचवें संकट का नाम नहीं बताया।
वहीं चीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयक अमेरिकी संसद में पेश हो गया है। नौ प्रभावशाली सीनेटरों के एक समूह ने संसद में यह विधेयक पेश किया है। इस विधेयक में कहा गया है कि यदि चीन कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के पीछे की वजहों की पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराता है और इसे काबू करने में सहयोग नहीं देता है तो अमेरिका के राष्ट्रपति को चीन पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
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