बीजिंग: बीजिंग में अमेरिका के नए राजदूत ने आज कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता लू शियाबो को चीन से बाहर इलाज कराने की इजाजत दी जानी चाहिए। लू लोकतांत्रिक सुधारों की वकालत करने के कारण जेल की सजा काट रहे थे जहां उन्हें कैंसर होने का पता चला। इस हफ्ते बीजिंग आने के बाद सार्वजनिक तौर पर पहली बार सामने आए अमेरिकी राजदूत टेरी ब्रानस्टेड ने संवाददाताओं से कहा कि यदि कुछ फायदा पहुंच सकता हो तो चीन द्वारा 61 वर्षीय लू को कहीं और उपचार कराने की इजाजत दी जानी चाहिए। (नेपाल: दूसरे चुवान के लिए मतदान आज से शुरू)
छह बार आयोवा के गवर्नर रहे ब्रानस्टेड को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन का राजदूत नियुक्त किया है। ब्रानस्टेड ने यह नहीं बताया कि इस मुद्दे पर उन्होंने चीन के अधिकारियों से सीधे तौर पर बात की है या नहीं, इसके बजाए उन्होंने सहयोग पर जोर दिया। ब्रानस्टेड ने कहा, यह आवश्यक है कि मानवाधिकार संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए दोनों देश मिलकर काम करें।
लू को इलाज के लिए पैरोल पर रिहा कर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 23 मई को पता चला था कि वे लिवर कैंसर से पीड़ित हैं और यह रोग अंतिम चरण में है।
लू के मामले से यह संकेत मिलता है कि ट्रंप प्रशासन मानवाधिकार संबंधी मामलों पर चीन पर कितना दबाव बनाने की मंशा रखता है। सोमवार को अमेरिकी विदेश विभाग ने लू की रिहाई की मांग की थी और उनकी पत्नी लू शिया को मुक्त करने की मांग की थी। शिया बरसों से नजरबंद हैं। मंगलवार को विदेश विभाग ने मानव तस्करी के मामले पर चीन का दर्जा घटा दिया था।
Latest World News