ईरान: राष्ट्रपति हसन रूहानी ने किया चाबहार पोर्ट का उद्घाटन, पाकिस्तान की उड़ी है नींद
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भारतीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी में रविवार को चाबहार पोर्ट का उद्घाटन करेंगे...
IndiaTV Hindi Desk Dec 03, 2017, 15:32:06 IST
तेहरान: ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भारतीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी में रविवार को चाबहार पोर्ट का उद्घाटन कर दिया। रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इस बंदरगाह के निर्माण के लिए भारत ने भी 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद देने का संकल्प लिया है। इस पोर्ट के जरिए भारत-ईरान-अफगानिस्तान के बीच नए रणनीतिक ट्रांजिट रूट की शुरुआत होगी। इस पोर्ट के जरिए पाकिस्तान को किनारे कर भारत सीधे तौर पर अफगानिस्तान और मध्य एशिया से व्यापारिक गतिविधियों को अंजाम दे सकेगा। आईए, आपको बताते हैं कि भारत के लिए यह पोर्ट क्यों है जरूरी और क्या हैं इसकी खास बातें...
- चाबहार पोर्ट ईरान के सिस्तान-बलोचिस्तान इलाके में स्थित है। भारत अपने पश्चिमी तट के जरिए इस पोर्ट तक आसानी से अपनी पहुंच बना सकता है और फारस की खाड़ी में स्थित देशों से बेरोक-टोक व्यापार कर सकता है।
- भारत अब बिना पाकिस्तान गए ही अफगानिस्तान के अलावा रूस और यूरोप से जुड़ सकेगा। अभी तक भारत को अफगानिस्तान जाने के लिए पाकिस्तान से होकर जाना पड़ता था। इसीलिए पाकिस्तान इस पोर्ट को लेकर घबराया हुआ है।
- भारत के कांडला से चाबहार बंदरगाह के बीच दूरी, नई दिल्ली से मुंबई के बीच की दूरी से भी कम है। इस तरह भारत अब बेहद कम समय में अपनी वस्तुएं ईरान और अफगानिस्तान तक पहुंचा सकता है।
- चाबहार पोर्ट की दूरी चीन के सहयोग द्वारा पाकिस्तान में चल रहे ग्वादर पोर्ट से लगभग 100 किलोमीचर ही है। चाबहार पोर्ट के ग्वादर के इतने करीब मौजूद होने से व्यापारिक प्रतिद्वंदिता भी बढ़ने की संभावना है।
- ईरानी विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, चाबहार पोर्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए मध्य एशियाई देश ओमान और हिंद महासागर के रास्ते दुनिया के दूसरे देशों से जुड़ सकेंगे।
- माना जा रहा है कि ईरान की सरकार ने भारत से इस पोर्ट के पहले फेज का 'प्रबंधन' करने के लिए कहा है।
- इस पोर्ट के उद्घाटन से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके ईरानी समकक्ष जावेद जरीफ के बीच शनिवार को एक मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात में अन्य मुद्दों के अलावा चाबहार परियोजना को लेकर भी बात हुई थी।
- चाबहार बंदरगाह सहित अफगान की सीमा तक सड़क और रेलवे का विकास होने से अफगानिस्तान और पूरे मध्य एशिया में भारत की पहुंच सुनिश्चित होगी।
- यह पोर्ट दुनिया का एकलौता ऐसा पोर्ट है जिसके निर्माण में भारत की सीधी भागीदारी है। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया, भारत इस पोर्ट के निर्माण में 50 करोड़ डॉलर की मदद दे रहा है।
- इस पोर्ट को लेकर भारत और ईरान के बीच पिछले वर्ष मई में समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे।