बीजिंग: चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली पेंग का निधन हो गया है। उन्हें चीन के थ्येनआनमन चौक पर 1989 में लोकतंत्र समर्थक छात्रों पर सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के दमन का पुरजोर समर्थन करने के लिए जाना जाता है। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 91 वर्षीय ली का किसी अज्ञात बीमारी के चलते निधन हो गया। बताया जाता है कि कुछ साल पहले उन्हें ब्लड कैंसर हुआ था। उन्होंने कम्युनिस्ट राष्ट्र की संसद की एक स्थायी समिति के अध्यक्ष के तौर पर 2001 में भारत का दौरा किया था।
कहा जाता था ‘बीजिंग का कसाई’
ली को ‘बूचर ऑफ बीजिंग’या ‘बीजिंग का कसाई’ भी कहा जाता था। दरअसल, जब विद्यार्थियों, कर्मचारियों और अन्य लोगों की अपार भीड़ बदलाव की मांग करते हुए हफ्तों तक थ्येनआनमन चौक पर डेरा डाले हुए थी तब ली ने 20 मई, 1989 को मार्शल लॉ की घोषणा कर दी। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति की सहमति से सेना को प्रदशर्नकारियों को जबरन हटाने का आदेश दिया था। 4 जून, 1989 को राजधानी में लोकतंत्र समर्थक व्यापक प्रदर्शन पर नृशंस कार्रवाई को लेकर ली दुनियाभर में कुख्यात हो गए थे। वह एक दशक से अधिक समय तक कम्युनिस्ट शासन में शीर्ष पर रहे।
अंत तक लाखों लोग करते रहे नफरत
भले ही प्रदर्शनकारियों पर प्रदर्शन का फैसला सामूहिक था, लेकिन ली को उनके जीवन के आखिरी क्षण तक लोगों ने दमन के प्रतीक के रूप में नफरत भरी नजरों से देखा। कुछ अनुमानों के अनुसार, ली द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। हालांकि, ली ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के फैसले को ‘जरूरी’ कदम बताते हुए इस फैसले का बार-बार बचाव किया। उन्होंने 1994 में ऑस्ट्रिया की यात्रा के दौरान कहा था, ‘बिना इन कदमों के चीन के समक्ष सोवियत संघ (अब विघटित) या पूर्वी यूरोप से भी भयावह स्थिति खड़ी हो जाती।’
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