हाल ही में समाप्त हुए भारत-चीन डोकलाम विवाद को खत्म करने में भूटान का बहुत ही बड़ा हाथ रहा है। आपको बता दें कि भूटान ने इस विवाद में क्षेत्रीय अखंडता को लेकर अपना पक्ष मजबूत रखा था। भारत और चीन के बूच जहां एक ओर विवाद चल रहा ता वहीं दूसरी ओर चीन ने भूटान पर भी काफी राजनयिक दबाव बनाया था। चीन ने इस बात का भी दावा किया था कि भूटान ने डोकलाम को चीन को डोकलाम का हिस्सा माना लिया है। जबकि भूटान ने इस बात को खारिज किया था। (अमेरिका द्वारा दक्षिण एशिया नीति में भारत को तरजीह देने पर पाक ने किया विरोध)
डोकलाम विवाद के चलते भूटान के एक विशेषज्ञ ने कहा था कि, 'भारत और चीन के बीच भूटान के लिए इस मामले को संतुलित करना आसान नहीं था। चीन की तरह भूटान ने कोई बयानबाजी नहीं की और कूटनीति को अपना काम करने दिया। भूटान पर सबकी नजरें बनी हुई थीं। उसने इस मामले में सतर्कता के साथ कदम बढ़ाए और 29 जून को पहला बयान जारी करने के बाद उसने मंगलवार को एक स्पष्ट बयान में कहा कि संबंधित देशों के बीच मौजूदा समझौतों के आधार पर यथास्थिति बरकरार रखनी चाहिए।' आपको बता दें कि चीन काफी लंबे समय से भूटान पर दबाव बनाए हुए है। भूटाने ही भारत को डोकलाम में भारतीय सेना की तैनाती की अनुमति दी थी।
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच दो महीनों से चलने वाला डोकलाम विवाद समाप्त हो चुका है ख़बरों के अनुसार डोकलाम विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच दो महीने से बातचीत चल रही थी। अगले महीने चीन में ब्रिक्स सम्मेलन होने जा रहा है और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद् मोदी भी हिस्सा लेंगे। मोदी 3 सितंबर को चीन की यात्रा पर जाएंगे।
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