ढाका: पिछले कुछ महीनों में म्यांमार से लाखों शरणार्थियों ने बांग्लादेश का रुख किया है। इनमें से अधिकांश वे रोहिंग्या मुसलमान हैं, जिन्होंने कथित तौर पर म्यांमार की सेना की ज्यादतियों का शिकार होकर देश छोड़ा है। वहीं, बांग्लादेश ने शरणार्थियों की ताजा आमद के मद्देजनर में म्यांमार से लगी अपनी सीमा बंद कर दी है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमिन ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी। हालांकि ताजा हिंसा के ज्यादातर शिकार म्यांमार के बहुसंख्यक बौद्ध और हिंदू समुदाय के लोग हैं।
आपको बता दें कि म्यांमार में अत्याचार से बचने के लिए अब तक 70,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं। विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने नई दिल्ली रवाना होने से पहले पत्रकारों से कहा, ‘हम और ज्यादा म्यांमार शरणार्थियों को अपने यहां पनाह नहीं दे सकते। म्यांमार से लगी सीमा लगभग पूरी तरह बंद कर दी गई है।’ मोमिन अपने पहले विदेश दौरे पर भारत आ रहे हैं। बांग्लादेश में 30 दिसंबर को हुए चुनाव जीत के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी।
विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश अपनी सीमाएं खोलकर काफी शरणार्थियों को शरण दे चुका है, बेहतर होगा कि अब दूसरे देश शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खोलें। बांग्लादेश की पुलिस ने कहा कि 38 बौद्ध परिवारों समेत म्यांमार के करीब 150 नागरिकों ने सीमा पार की है। सीमावर्ती बंदरबन जिले के पुलिस प्रमुख मोहम्मद कमरुज्जमा ने कहा कि म्यांमारर के रखाइन प्रांत में ‘आंतरिक संघर्ष’ के मद्देनजर ज्यादातर बौद्ध परिवारों समेत 38 परिवार रातों-रात बांग्लादेश सीमा में घुस आए।
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