रोहिंग्या मामले में बांग्लादेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए शरणार्थियों को जनसंख्या नियंत्रण के उपाय देना शुरू कर दिए हैं। सरकार ने यह फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए लिया कि यदि शिविर कैंपों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी तो यह समस्या भयानक रूप ले लेगी। सरकार ने शिविरों में फैमिली प्लानिंग के बारे में लोगों को बताने के लिए टीमें तैनात कर दी है। जो पुरूषों को कॉन्डम समेत महिलाओं को गर्भनिरोधक दवाईयां बांट रहे हैं। (अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बोले राहुल, असहिष्णुता, बेरोजगारी भारत के लिए चुनौती)
अब तक बांग्लादेश में करीब 4 लाख के करीब रोहिंग्या शरणार्थी आ चुके हैं। इस शरणार्थी कैंपों में लगभग 70 हजार गर्भवती महिलाएं हैं। इसे देखते हुए सरकार को आभास होने लगा है कि यह मामला एक भयानक त्रासदी का रूप ले सकती है। बांग्लादेश के परिवार नियोजन विभाग के हे़ड पिंटू कांति भट्टाचार्य का कहना है कि उनके देश में आए रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों की संख्या करीब दर्जनभर है। उन्होंने चिंता जताई है कि शरणार्थी यदि और यहां रूके तो 20 हजार बच्चे पैदा होंगे। इसी कारण शरणार्थियों के बीच जाकर उन्हें परिवार नियोजन के बारे में बताया जा रहा है।
पिंटू कांति का कहना है कि रोहिंग्या समुदाय के लिए परिवार नियोजन एक नया कॉन्सेप्ट है। कैंपों के पास मौजूद अधिकारी रोहिंग्या शरणार्थियों को गर्भनिरोधक के जो साधन बांट रहे हैं उसपर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। वहीं एक रोहिंग्या शरणार्थी का कहना है कि 'बच्चे पैदा करना हमारा धार्मिक कर्तव्य है। दवाओं का इस्तेमाल कर बच्चों को पैदा होने से रोकना पाप है। मुझे नहीं लगता कि मेरा परिवार इनका इस्तेमाल करेगा।'
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