ढाका: शरणार्थियों की वापसी के मुद्दे पर म्यांमार पर दबाव बढ़ाते हुए बांग्लादेश ने रोहिंग्या मुद्दे से निपटने के लिए भारत से मदद की मांग की। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक म्यांमार के उत्तरी राखिन प्रांत में पुलिस चौकियों पर उग्रवादियों के हमले के बाद हिंसा भड़कने पर 25 अगस्त के बाद से तकरीबन 300000 रोहिंग्या मुसलमान प्रांत छोड़कर बांग्लादेश चले आये। रोहिंग्या मुसलमानों का आरोप है कि सेना और राखिन के बौद्धों ने उनके खिलाफ नृशंस अभियान चलाया है। हालांकि, म्यांमार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसकी सेना रोहिंग्या आतंकवादियों के खिलाफ लड़ रही है। (रोहिंग्या चरमपंथियों ने की एक महीने के एकपक्षीय तत्काल संघर्षविराम की घोषणा)
सत्तारूढ़ अवामी लीग के महासचिव और बांग्लादेश के वरिष्ठ मंत्री ओबैदुल कादर ने आज कहा, समूचा विश्व आज रोहिंग्या मुद्दे पर चिंतित है और भारत ने भी अपनी चिंता प्रकट की है, इस पल उनकी भारत की चिंता और रूख हमारे साथ है। कादर ने बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान भारत द्वारा निर्णयकारी समर्थन का जिक्र किया और कहा, हमें उम्मीद है कि भारत इस मानवीय संकट के समय भी बांग्लादेश का समर्थन करेगा।
गुरूवार को म्यांमार का तीन दिवसीय दौरा पूरा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राखिन प्रांत में अतिवादी हिंसा के खिलाफ वहां सरकार के साथ एकजुटता प्रकट की थी। मोदी ने देश की एकता का सम्मान करते हुए सभी पक्षों से कोई समाधान निकालने का अनुरोध किया था। बांग्लादेश में म्यामां से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आ रहे हैं।
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