'गुस्साए' चीन ने कहा, लू शियाबाओ को नोबेल पुरस्कार दिया जाना ईशनिंदा के समान
चीन ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता लू शियाबाओ को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाना ईशनिंदा के समान है।
बीजिंग: चीन ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता लू शियाबाओ को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाना ईशनिंदा के समान है। इसके साथ ही चीन ने असहमति का स्वर उठाने वाले नेता के निधन पर अमेरिका समेत कई अन्य देशों के बयानों को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए उनके समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया। चीन के प्रसिद्ध मानवाधिकार कैदी लू का लीवर कैंसर के कारण गुरुवार को 61 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अपने जीवन के आखिरी 8 साल राजनीतिक कैदी के रूप में जेल में बिताने वाले लू का निधन शेन्यांग, चीन में हुआ। (पढ़ें: चीनी सरकार के बड़े विरोधी नोबेल पुरस्कार विजेता लियू शियाओबो का निधन)
जेल में रोग का पता चलने के बाद उन्हें मेडिकल पेरोल मिल गई थी लेकिन लू की इच्छा और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद चीन ने उन्हें इलाज के लिए दूसरे देश में नहीं जाने दिया। लू की मौत को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की आलोचना हुई है। नॉर्वे स्थिति नोबल समिति के प्रतिनितधि बेरिस रेस-एंडरसन ने कहा कि लू की मौत की बहुत अधिक जिम्मेदारी चीन पर है। लू के निधन को लेकर कई सवालों का जवाब देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन ने न्यायिक संप्रभुता में हस्तक्षेप को लेकर कुछ देशों के समक्ष विरोध दर्ज कराया है।
लू को वर्ष 2010 में दिए गए नोबेल पुरस्कार के बारे में गेंग ने कहा, ‘लू एक ऐसे कैदी थे, जिन्हें चीन के कानूनों के अनुसार जेल की सजा दी गई थी। ऐसे व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार दिया जाना पुरस्कार के उद्देश्यों के खिलाफ है। यह शांति पुरस्कारों की ईशनिंदा है।’ गेंग ने कहा, ‘चीन कानून के नियमों के अनुरूप चलने वाला देश है और कानून की नजर में सभी समान हैं। कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को दंडित किया जाएगा और कुछ देशों की टिप्पणियां चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून की भावना के विरुद्ध है।’