कोलंबो: कोविड-19 से मरने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों के शवों को दफनाने के बजाय दाह-संस्कार करने की सरकार की नीति के खिलाफ श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में मूक प्रदर्शन किया गया। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मरने वाले लोगों के शवों को दफनाए जाने की अनुमति दे दी थी। मुख्य विपक्षी नेता सजीत प्रेमदासा ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिसमें सिविल सोसाइटी समूह भी शामिल हुए। मुस्लिम समूहों का आरोप है कि संक्रमण से मरने वाले उनके समुदाय के लोगों के शवों का जबरन दाह-संस्कार किया जा रहा, जबकि उनकी धार्मिक मान्यताएं शवदाह की इजाजत नहीं देती हैं।
श्रीलंका में महामारी से 183 लोगों की मौत
वहीं, अधिकारियों ने कहा कि शवों को दफन किए जाने से महामारी और फैल सकती है। मुस्लिम सिविल सोसाइटी समूहों ने कहा कि सरकार ने शवों को दफन करने के मुद्दे पर सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी, लेकिन 9 महीने बाद भी इसने कोई सुझाव नहीं सौंपे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से शवों को दफन करने की इजाजत देने की अपील की है क्योंकि कोविड-19 शवों की अंत्येष्टि पर WHO के दिशा-निर्देशों में मुस्लिमों की धार्मिक परंपरा भी शामिल है। श्रीलंका में संक्रमण के अब तक 38,059 मामले सामने आए हैं और 183 लोगों की महामारी से मौत हुई है।
31 मार्च को हुआ था दिशा-निर्देशों में संशोधन
इससे पहले श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने भी उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों का अनिवार्य रूप से दाह संस्कार करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाकर्ताओं ने सरकार द्वारा अप्रैल में इस संबंध में जारी अधिसूचना को चुनौती देते हुए इसे मौलिक अधिकारों का हनन करार दिया था। श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुस्लिम समुदाय के एक शख्स की कोरोना से हुई मौत के बाद 31 मार्च को दिशनिर्देशों में संशोधन करते हुए आदेश दिया था कि कोविड-19 के मरीजों या संदिग्ध संक्रमितों की मौत होने पर सिर्फ दाह संस्कार होगा।
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