बैंकॉक: एमनेस्टी इंटरनेशनल ने म्यांमार की नेता के टेलीविजन पर दिए भाषण में सेना के कथित अत्याचारों की निंदा ना करने की आलोचना करते हुए आज कहा कि आंग सान सू की और उनकी सरकार ने रखाइन प्रांत में हिंसा पर आंख मूंद रखी है। संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार समूहों और बांग्लादेश भागकर जाने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों ने म्यामां की सेना पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ जातीय सफाये का अभियान छेड़ने के लिए गोलियों और आगजनी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। (सुषमा स्वराज ने की पांच देशों के अपने समकक्षों के साथ बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा)
सू की ने आज अपने भाषण में हिंसा से पीड़ित सभी लोगों की परेशानियों के लिए संवेदना जताई लेकिन जातीय सफाये के आरोपों पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि जो भी मानवाधिकार उल्लंघनों का दोषी पाया जाएगा उसे सजा दी जाएगी। एमनेस्टी ने कहा, आंग सान सू की ने आज दिखाया कि वह और उनकी सरकार रखाइन प्रांत में हुई भयानक घटनाओं पर अब भी आंख मूंदे हुए हैं। उनके भाषण में झूठ और पीड़ितों को जिम्मेदार ठहराने की मिली जुली बातें थीं।
मानवाधिकार समूह ने सुरक्षा बलों की भूमिका के बारे में चुप रहने पर सू की पर निशाना साधा। एमनेस्टी ने कहा, आंग सान सू की का यह दावा खोखला है कि उनकी सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जांच से नहीं डरती। अगर म्यांमार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो उसे संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं को रखाइन प्रांत समेत देश में आने की अनुमति तत्काल देनी चाहिए।
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