बीजिंग: चीन ने अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन में अमेरिका के साथ उसके तनावपूर्ण रिश्तों को सुधारने का सोमवार को आह्वान किया ताकि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच पारस्परिक विश्वास को फिर से बहाल किया जा सके और महीनों से चली आ रही दुश्मनी को खत्म किया जा सके। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चार साल का कार्यकाल अमेरिकी-चीन के संबंधों का सबसे बुरा दौर बताया जाता है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) को ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन से संबंध रखने के लिए जूझना पड़ा। अमेरिका-चीन व्यापार परिषद के कारोबारी नेताओं की वीडियो बैठक को संबोधित करते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, "शीर्ष प्राथमिकता यह है कि दोनों पक्षों को सभी तरह की रूकावटों और बाधाओं को दूर करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और चीन-अमेरिका के रिश्तों में सुचारु बदलाव करने चाहिए।"
हांगकांग स्थित "साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट" की खबर के मुताबिक, यी ने कहा, " हमारे लोगों और दोनों देशों के लिए पारस्परिक लाभ की दिशा के आधार पर, हमें बातचीत को फिर से शुरू करने का प्रयास करना होगा, सही पटरी पर लौटना होगा, रिश्तों के इस अगले चरण में विश्वास को पुनःस्थापित करना होगा।" सभी स्तरों पर वार्ता फिर से शुरू करने की पैरवी करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि चीन और अमेरिका को उस दिशा में काम करना चाहिए जो दोनों देशों और उनके बांशिदों के आम हितों को पूरा करते हों।
उन्होंने कहा, " चीन-अमेरिका के रिश्तों में हाल के वर्षों में गंभीर दिक्कतें आई हैं। ये ऐसी थी जिन्हें हम देखना नहीं चाहते हैं और मेरा मानना है कि कारोबारी समुदाय समेत अमेरिकी समुदाय के कोई भी क्षेत्र इन्हें देखना नहीं चाहते हैं।" यी ने अनुरोध किया कि अमेरिका अपनी रणनीतिक धारणा को ठीक करे। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों की मौजूदा स्थिति इसलिए है, क्योंकि अमेरिका की तरफ कुछ लोग हैं जो वैचारिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं।
उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन को लेकर अमेरिका की नीति जल्द से जल्द तर्कसंगत हो सकती है। गौरतलब है कि इस महीने के शुरू में बाइडन ने कहा था कि ट्रंप प्रशासन द्वारा चीनी सामान पर लगाए गए दंडात्मक आयात शुल्क को हटाने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाएंगे, बल्कि एक व्यापार समझौते पर मौजूदा चरण की समीक्षा करेंगे और अमेरिकी सहयोगियों से सलाह लेंगे। इससे चीन की उम्मीदें धुंधला गई थीं।
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