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तालिबान ने डिप्टी मिनिस्टर्स की लिस्ट जारी की, किसी भी महिला को नहीं मिली जगह

इस महीने की शुरुआत में मंत्रियों के चयन के दौरान भी मंत्रिमंडल में किसी महिला को शामिल नहीं किया गया था। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी। 

तालिबान ने डिप्टी मिनिस्टर्स की लिस्ट जारी की, किसी भी महिला को नहीं मिली जगह - India TV Hindi Image Source : AP/PTI तालिबान ने डिप्टी मिनिस्टर्स की लिस्ट जारी की, किसी भी महिला को नहीं मिली जगह 

काबुल: तालिबान ने मंगलवार को उप मंत्रियों की एक सूची की जारी की, जिसमें किसी भी महिला का नाम शामिल नहीं है। इस महीने की शुरुआत में मंत्रियों के चयन के दौरान भी मंत्रिमंडल में किसी महिला को शामिल नहीं किया गया था। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में यह सूची पेश की। 

उप मंत्रियों की सूची से संकेत मिलता है कि तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना का कोई असर नहीं है और वे समावेशिता एवं महिलाओं के अधिकारों को कायम रखने के शुरुआती वादों के बावजूद अपने कट्टरवादी रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। तालिबान ने अपने वर्तमान मंत्रिमंडल को एक अंतरिम सरकार के रूप में तैयार किया है, यह सुझाव देते हुए कि परिवर्तन अब भी संभव है। 

हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या कभी चुनाव होंगे या नहीं। मुजाहिद ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा, इसमें हजारा जैसे जातीय अल्पसंख्यकों के सदस्य शामिल किए गए हैं और महिलाओं को बाद में शामिल किया जा सकता है।

इस्लामिक स्टेट ने ली तालिबान पर हमलों की जिम्मेदारी 
चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने पूर्वी अफगानिस्तान में तालिबान के वाहनों को निशाना बनाकर किए गए सिलसिलेवार हमलों की जिम्मेदारी ली है। आईएस ने अपनी मीडिया इकाई आमाक समाचार एजेंसी की वेबसाइट के माध्यम से रविवार को हमलों की जिम्मेदारी ली जिससे तालिबान को उसके दीर्घकालिक प्रतिद्वंद्वियों की ओर से खतरे का संकेत मिलता है। आईएस के गढ़ माने जाने वाले जलालाबाद में शनिवार और रविवार को हुए हमलों में तालिबान के कई सदस्यों सहित कम से कम आठ लोग मारे गए थे।

तालिबान के सामने भीषण आर्थिक एवं सुरक्षा चुनौतियां 
अफगानिस्तान पर शासन करने के जारी प्रयासों के बीच तालिबान को भीषण आर्थिक एवं सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आईएस के लगातार जारी हमले उसके लिए और मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। विदेशी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने से पहले से ही तालिबान और आईएस के बीच दुश्मनी चली आ रही है। दोनों ही समूह इस्लाम की कठोर व्याख्या करते हैं, लेकिन तालिबान का ध्यान जहां अफगानिस्तान पर नियंत्रण पर केंद्रित है, वहीं आईएस अफगानिस्तान और दुनिया के अन्य हिस्सों में जहां भी है, वहां तथाकथित जिहाद का आह्वान करता है।  

इनपुट-भाषा

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