काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में जुम्मे की नमाज शांतिपूर्ण रही और कोई भी तालिबानी बंदूकधारी मस्जिदों के एंट्री गेट पर नहीं दिखा। तालिबान के सदस्य ऐसी ड्रेस कोड पाबंदियां लागू कराते हुए भी नहीं दिखे, जैसी वे पहले करते रहे हैं। कुछ मस्जिदों में सामान्य की तुलना में ज्यादा संख्या में नमाजी पहुंचे। तालिबान ने गुरुवार को अफगानिस्तान के इमामों को दिशा-निर्देश दिया था कि वे साप्ताहिक उपदेश और नमाज के दौरान एकता की अपील करें, लोगों से देश छोड़कर नहीं भागने के लिए कहें और उनके बारे में ‘नकारात्मक दुष्प्रचार’ का विरोध करें।’
‘हमें एकजुट हो जाना चाहिए’
धार्मिक मामलों एवं मस्जिदों की निगरानी करने वाले एक आयोग ने दिशा-निर्देश में कहा, ‘देश के लाभ के बारे में सभी को बताया जाना चाहिए।’ काबुल निवासी जावेद सफी मस्जिदों को सुरक्षित देखकर खुश थे। अफगान सरकार ने पहले लगातार बमबारी को देखते हुए मस्जिदों के पास गार्ड तैनात किए थे। पूर्वी काबुल के इमाम बशीर वारदाक ने कहा कि दशकों से चले आ रहे खून-खराबे को रोकने के लिए अफगानिस्तान के लोगों को एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अल्लाह ने हमें शांति एवं भाईचारे का आदेश दिया है इसलिए हमें एकजुट हो जाना चाहिए।’
‘लोगों को धन इकट्ठा करना चाहिए’
उत्तरी काबुल के इमाम अब्दुल बोगदी ने कहा, ‘विस्थापित लोगों की सहायता के लिए लोगों को धन इकट्ठा करना चाहिए।’ इस बीच तालिबान के साथ वार्ता से अवगत एक अफगान अधिकारी ने कहा कि समूह की आगामी सरकार में बारे में कोई भी निर्णय करने या घोषणा करने के बारे में 31 अगस्त तक कोई योजना नहीं है। बता दें कि यह तारीख अमेरिका के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूर्ण होने की है। बता दें कि बीते रविवार को तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया था और राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
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