नई दिल्ली। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह से हुई वापसी से खुद को वहां का कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्ला सालेह मायूस नहीं हैं और उन्होंने साफ संकेत दिए हैं कि वे तालिबान के सामने हार नहीं मानेंगे। अमरुल्ला सालेह ने कहा है कि अफगानिस्तान को अंतिम अमेरिकी सैनिक के बैग में भरकर कहीं ले जाया गया नहीं है, बल्कि अफगानिस्तान वहीं है जहां था। अमरुल्ला सालेह ने कहा है कि अफगानिस्तान में नदियां पहले की तरह बह रही हैं और पहाड़ पहले की तरह अपनी भव्यता दिखा रहे हैं।
अमरुल्ला सालेह ने कहा है कि तालिबान एक बदनाम तथा छद्म फौज है तथा लोग उससे नफरत करते हैं और यही वजह है कि अफगानिस्तान की जनता उनसे अपना पिंड छुड़ाना चाहती है। सालेह ने अमेरिका से तालिबान के समझौते पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर एक सुपर पावन ने एक मिनी पावर बनने का फैसला किया है तो इससे फर्क नहीं पड़ता।
अमेरिका ने अफगानिस्तान से सैनिकों की निकासी की समयसीमा 31 अगस्त निर्धारित की थी और इसके कुछ घंटे पहले ही उसने अफगानिस्तान में अपना युद्ध समाप्त करने की घोषणा की। अमेरिका के राष्ट्रपति बायडेन ने कहा, ‘‘ अब, अफगानिस्तान में 20 साल पुरानी हमारी सैन्य मौजूदगी समाप्त हो गयी है।’’ उन्होंने अफगानिस्तान से समय-सीमा (31 अगस्त) के भीतर सैनिकों की सुरक्षित वापसी के लिये सशस्त्र बलों का धन्यवाद किया। बायडेन ने कहा कि वह मंगलवार को देश को संबोधित करंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ अभी के लिये, मैं इतना ही बताना चाहूंगा कि योजना के अनुसार हमारे अभियान को सम्पन्न करने के लिए जमीनी स्तर पर मौजूद सभी ज्वाइंट चीफ तथा हमारे सभी कमांडर ने सर्वसम्मति से सिफारिश की थी। उनका विचार था कि हमारे सैन्य अभियान को पूर्ण करना हमारे सैनिकों के जीवन की रक्षा और आने वाले हफ्तों तथा महीनों में अफगानिस्तान छोड़ने को इच्छुक लोगों की संभावनाओं को सुदृढ़ करने का सबसे बेहतर तरीका है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री से अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ निरंतर समन्वय स्थापित करने को कहा है ताकि युद्धग्रस्त देश छोड़ने को इच्छुक किसी भी अमेरिकी, अफगान सहयोगियों और विदेशी नागरिकों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जा सके।
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