लाहौर: विभाजन के 72 साल बाद पाकिस्तान ने पंजाब प्रांत में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा चोआ साहिब के दरवाजे भारत समेत विभिन्न देशों के सिख श्रद्धालुओं के लिए शुक्रवार को खोल दिए। यह कदम नवंबर में गुरू नानक देव की 550वीं जयंती की तैयारी के मद्देनजर उठाया गया है। साल 1947 में पंजाब प्रांत के झेलम जिले में सिख समुदाय के पाकिस्तान से पलायन कर जाने के बाद से बंद यह गुरुद्वारा उपेक्षा की स्थिति में था।
यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल रोहतास किले के करीब स्थित गुरुद्वारा चोआ साहिब को कई उच्चाधिकारियों और समुदाय के सदस्यों की मौजूदगी में एक भव्य कार्यक्रम में खोला गया। कार्यक्रम की शुरुआत सिख समुदाय के सदस्यों की ‘अरदास’ और ‘कीर्तन’ के साथ हुई। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पवित्र स्थलों को देखने वाले इवैक्यूई ट्रस्ट प्रोपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के अध्यक्ष डॉ आमिर अहमद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
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