लाहौर: भारत से 28 सिखों का पहला जत्था बुधवार को वीजा-मुक्त गलियारे का इस्तेमाल कर पाकिस्तान में पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पहुंचा। इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। इससे पहले मार्च 2020 में कोविड -19 का प्रकोप शुरू होने के बाद तीर्थयात्रा को स्थगित कर दिया गया था। इसी तरह 2,500 से अधिक भारतीय सिख वाघा सीमा पार से पाकिस्तान पहुंचे। ये सभी श्रद्धालु सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती पर आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में भाग लेंगे। इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने कहा, "भारत सरकार द्वारा गलियारा फिर से खोले जाने के बाद पहले दिन (बुधवार) महिलाओं सहित भारत से 28 सिख करतारपुर साहिब पहुंचे।’’
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पवित्र स्थानों की देखभाल की जिम्मेदारी ईटीपीबी पर है। हाशमी ने कहा कि करतारपुर गलियारा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मुहम्मद लतीफ, पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार अमीर सिंह और डॉ मम्पाल सिंह ने भारतीय तीर्थयात्रियों की अगवानी की। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों ने गुरुद्वारे में कई घंटे बिताए और धार्मिक अनुष्ठान पूरा करने के बाद वापस अपने देश लौट गए।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने करतारपुर गलियारे को फिर से खोलने को अच्छा घटनाक्रम करार दिया। कुरैशी ने इस्लामाबाद में संसद के बाहर मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा, "मैं पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान के लोगों की ओर से सिख तीर्थयात्रियों का स्वागत करता हूं। सिख तीर्थयात्री आज से इस गलियारे से अपने पवित्र स्थलों के दर्शन करने आएंगे।"
करीब 2,500 से अधिक भारतीय पैदल वाघा सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंचे। एक अधिकारी ने कहा, "यात्रियों की कतार बुधवार सुबह छह बजे से लगी हुई थी। आव्रजन और टीके तथा कोविड संबंधी अन्य परीक्षणों के कारण प्रक्रिया धीमा थी जिससे तीर्थयात्रियों को काफी असुविधा हुई।" उन्होंने कहा कि पिछले चलन के विपरीत, इस बार श्रद्धालु ट्रेन के बजाय पैदल ही यहां आएंगे। इस बार वे पैदल आए और इससे पूरी आव्रजन प्रक्रिया लंबी हो गई।
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