यमन में गरीबों को दी जा रही थी आर्थिक सहायता, भगदड़ ऐसी मची कि 78 की गई जान
यमन की राजधानी में वित्तीय सहायता बांटने के एक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मच गई। इस घटना में कम से कम 78 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हो गए।
यमन की राजधानी में वित्तीय सहायता बांटने के एक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मच गई। इस घटना में कम से कम 78 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हो गए। एपी ने हौथी के अधिकारियों के हवाले से ये जानकारी दी। हौथी द्वारा संचालित आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, राजधानी सना के केंद्र में ओल्ड सिटी में ये भगदड़ तब मच गई जब व्यापारियों द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सैकड़ों गरीब लोग इकट्ठा हो गए।
बिना अधिकारियों को बताए बांटे जा रहे थे पैसे
आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता, ब्रिगेडियर अब्देल-खलीक अल-अघरी ने स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय के बिना गरीबों के बीच धन के "वितरण" को इस भगदड़ का का कारण बताया। दर्जनों हताहतों को नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया। हौथी के अल-मसिरा सैटेलाइट टीवी चैनल के अनुसार, साना में एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी मोताहेर अल-मरौनी ने मरने वालों की संख्या दी और कहा कि कम से कम 13 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
हवाई फायरिंग से हुआ था विस्फोट
विद्रोहियों ने उस स्कूल को तुरंत सील कर दिया जहां ये कार्यक्रम आयोजित किया गया था और पत्रकारों सहित आम लोगों को आने से रोक दिया गया। चश्मदीदों, अब्देल-रहमान अहमद और याहिया मोहसिन ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने के प्रयास में हथियारबंद हौथी ने हवाई फायरिंग की, जिससे गोली जाकर एक बिजली के तार से टकराई और उसमें विस्फोट हो गया। उन्होंने कहा कि इससे धमाके से दहशत फैल गई और लोगों ने भगदड़ मचानी शुरू कर दी। हौथी द्वारा संचालित आंतरिक मंत्रालय ने बताया कि उसने दो आयोजकों को हिरासत में लिया है और आगे की जांच चल रही है।
हौथियों ने साल 2014 में हटाई थी यमन की सरकार
बता दें कि यमन की राजधानी को ईरानी समर्थित हौथियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। हौथियों ने साल 2014 में यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को हटा दिया था। बाद में हौथी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सरकार को मान्यता दिलाने की कोशिश करने के लिए 2015 में सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन को हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित किया था। यह संघर्ष हाल के वर्षों में सऊदी अरब और ईरान के बीच छद्म युद्ध में बदल गया। इस युद्ध में सेनानियों और नागरिकों सहित 1,50,000 से अधिक लोगों को मार दिया गया और दुनिया की सबसे खराब मानवीय आपदाओं में से एक बना दिया।
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