कोरोना के मामले भले ही दुनिया में कम हो गए हों, लेकिन इस वायरस का एक ऐसा स्वरूप सामने आया है, जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे। यह कोविड वायरस एक ही व्यक्ति के शरीर में पूरे 613 दिनों तक रहा। इस दौरान कोरोना वायरस उसके शरीर में 50 बार म्यूटेट (परिवर्तन) भी हुआ। तब तक यह मरीज कोविड से पूरी जीवटता के साथ जंग करता रहा। मगर 50वीं बार म्यूटेट होने के बाद वायरस व्यक्ति पर भारी पड़ गया और आखिरकार इस कोविड ने डच व्यक्ति की जान ले ली।
किसी व्यक्ति में इतने लंबे समय तक कोविड की मौजूदगी का यह सबसे अनोखा मामला है। 72 वर्षीय व्यक्ति में लगातार 613 दिनों तक वायरस अपना रूप बदल-बदल कर हमला करता रहा। कोरोना ने व्यक्ति के शरीर में 50 बार अपना स्वरूप बदला। ऐसे में मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ गई। जिसके कारण अब उसकी मौत हो गई। खास बात यह है कि मरीज को कोरोना संक्रमण के संपर्क में आने से पहले कोविड के टीके भी लगे थे। इस मरीज ने अपने शरीर में वायरस को 50 से अधिक बार उत्परिवर्तित रूप को झेला।
एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी ने रिकॉर्ड किया मामला
एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन से पता चला है कि एक डच व्यक्ति को सबसे लंबे समय तक कोवीड -19 संक्रमण रिकॉर्ड किया गया। यह संक्रमण उसके शरीर में 613 दिनों तक चला। आखिरकार 2023 के अंत में उसकी मौत हो गई। टाइम की रिपोर्ट के अनुसार, 72 वर्षीय अनाम व्यक्ति फरवरी 2022 में कोविड-19 से संक्रमित होने से पहले से ही रक्त रोग से पीड़ित था, जिसके कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई थी। इस केस का अध्ययन शोधकर्ताओं द्वारा अगले सप्ताह बार्सिलोना में एक चिकित्सा शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि 20 महीने तक चलने वाला यह कोविड संक्रमण अब तक दर्ज किया गया सबसे लंबा संक्रमण है, जो कि एक ब्रिटिश व्यक्ति के 505 दिनों के संक्रमण से भी अधिक है, उसकी भी मौत हो गई थी।
कोविड-19 की कई खुराक लेने के बाद भी नहीं बच सकी जान
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस व्यक्ति ने ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित होने से पहले कोविड-19 के टीकों की कई खुराक ली थी। इसके बावजूद रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली बनाए रखने में टीका विफल रहा। समय के साथ, वायरस ने प्रशासित होने के कुछ ही हफ्तों में एक प्रमुख कोविड एंटीबॉडी उपचार सहित चिकित्सा हस्तक्षेपों का विरोध करने की उल्लेखनीय क्षमता सोट्रोविमैब दिखाई। जबकि म्यूटेट होने के बाद वायरस का यह संस्करण रोगी के अलावा किसी अन्य में नहीं फैला। इसके उद्भव से पता चलता है कि महामारी पैदा करने वाला वायरस आनुवंशिक रूप से कैसे बदल सकता है, जिससे रोगज़नक़ के नए वेरिएंट को जन्म मिलता है। उक्त रोगी पर किए गए अध्ययन के लेखकों ने कहा, "यह मामला कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों में लगातार SARS-CoV-2 संक्रमण के जोखिम को रेखांकित करता है।"
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