Ceasefire in Yemen: यमन में लंबे समय से चल रहे संघर्ष में अब तक 10 हजार लोगों की जान जा चुकी है। जबकि 40 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। इसके बावजूद यहां हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रंडबर्ग ने यमनी युद्धरत गुटों को एक लंबी अवधि के लिए चल रहे संघर्ष विराम को बढ़ाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। उन्होंने शनिवार को अल-जजीरा समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में इसमें शामिल सभी पक्षों के बीच रचनात्मक सहयोग की जरूरत पर बल दिया।
हैंस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हमारे प्रस्ताव पर यमनी पार्टियों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है। हम एक अंतिम समाधान और यमन में युद्ध को समाप्त करने वाले स्थायी युद्धविराम तक पहुंचने की उम्मीद करते हैं। यदि यमनी पार्टियों की ओर से कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है, तो हम परिणाम तक नहीं पहुंच सकते हैं। क्योंकि इसमें सफलता के लिए उनकी इच्छाशक्ति आवश्यक है।
संघर्ष विराम के लिए पीएलसी ने रखी शर्त
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि पिछले हफ्ते यमन के राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद (पीएलसी) के अध्यक्ष रशद अल-अलीमी ने कहा था कि उनकी सरकार संयुक्त राष्ट्र के सुझाव वाले संघर्ष विराम को नवीनीकृत करने का स्वागत करती है, जो कुछ दिनों के भीतर समाप्त हो जाएगा। उन्होंने संघर्ष विराम को आगे बढ़ाने के लिए यमनी शहर ताइज पर हौथियों द्वारा की घेराबंदी खत्म करने की शर्त रखी। हालांकि, सना में हौथियों ने कहा है कि वे अभी भी यमन के हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के लिए बुलाए जाने के संबंध में प्रस्तावित सभी चीजों का अध्ययन कर रहे थे।
सशस्त्र हमलों के लगते रहे आरोप
यमन और हौथियों के बीच चल रहा संघर्ष विराम दो अप्रैल से बड़े पैमाने पर लागू किया गया था। अब दो बार नवीनीकृत किया जा चुका है। इस बार इसे और बढ़ाने की सिफारिश की गई है। हालांकि संघर्ष विराम को काफी हद तक बरकरार रखा गया है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार और हौथी समूह अक्सर छिटपुट सशस्त्र हमलों सहित उल्लंघन के आरोप एक दूसरे पर लगाते रहे हैं।
2014 से गृहयुद्ध के चपेट में है यमन
यमन 2014 के अंत से ही गृहयुद्ध की चपेट में फंस गया है, जब ईरान समर्थित हौथी मिलिशिया ने कई उत्तरी प्रांतों पर नियंत्रण कर लिया और सऊदी समर्थित यमनी सरकार को राजधानी सना से बाहर कर दिया। युद्ध में 10 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर अब तक आ चुकी है। जबकि 40 लाख लोग बेघर हुए हैं। इस आपसी संघर्ष ने यमन देश को भुखमरी के कगार पर धकेल दिया है। इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो इसके परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं।
Latest World News