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थाइलैंड में जिस प्रधानमंत्री को सत्ता से बेदखल कर किया था तख्तापलट, अब उनकी ही बेटी मौजूदा पीएम से लड़ रही मुकाबला

थाइलैंड में जिस प्रधानमंत्री को सत्ता से बेदखल कर किया था तख्तापलट किया गया था, अब उनकी ही बेटी मौजूदा पीएम प्रयुथ को चुनाव में टक्कर दे रही है। बता दें कि थाइलैंड में आम चुनाव के लिए रविवार को मतदान शुरू हो गया।

थाइलैंड में हो रहे मतदान का एक दृश्य- India TV Hindi Image Source : AP थाइलैंड में हो रहे मतदान का एक दृश्य

थाइलैंड में जिस प्रधानमंत्री को सत्ता से बेदखल कर किया था तख्तापलट किया गया था,  अब उनकी ही बेटी मौजूदा पीएम प्रयुथ को चुनाव में टक्कर दे रही है। बता दें कि थाइलैंड में आम चुनाव के लिए रविवार को मतदान शुरू हो गया। इस चुनाव को निवर्तमान प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा के 2014 में तख्तापलट से सत्ता में आने के 8 साल बाद बदलाव के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री प्रयुथ इस बार लोकप्रिय अरबपति थाकसिन शिनावात्रा की बेटी पेतोंगतार्न शिनावात्रा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। सेना ने 2006 में तख्तापलट कर थाकसिन शिनावात्रा को सत्ता से बेदखल कर दिया था।

थाकसिन की रिश्तेदार यिंगलुक शिनावात्रा 2011 में प्रधानमंत्री बनी थीं, लेकिन प्रयुथ की अगुवाई में तख्तापलट कर उन्हें भी सत्ता से हटा दिया गया था। इस बार पेतोंगतार्न शिनावात्रा की अगुवाई वाले विपक्षी दल फेयु थाई पार्टी का 500 सदस्यीय निचले सदन में सर्वाधिक सीट जीतने का अनुमान है, लेकिन अगली सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, यह महज रविवार के मतदान से ही तय नहीं होगा। प्रधानमंत्री का चयन निचले सदन और 250 सदस्यीय सीनेट के संयुक्त सत्र में जुलाई में किया जाएगा। विजेता उम्मीदवार के पास कम से कम 376 वोट होने चाहिए और किसी भी दल के अपने दम पर यह आंकड़ा छूने के आसार नहीं हैं।

फेयू थाई ने 2019 में जीती थी सर्वाधिक सीटें

फेयु थाई ने 2019 के चुनाव में सबसे अधिक सीट जीती थी, लेकिन उसके चिर प्रतिद्वंद्वी सेना समर्थित पलांग प्रचारथ पार्टी ने प्रयुथ के साथ गठबंधन कर लिया था। प्रयुथ दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, इस बार सेना का समर्थन दो धड़ों में विभाजित है। प्रधानमंत्री प्रयुथ पर लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, महामारी से निपटने में कमियों और लोकतांत्रिक सुधारों को विफल करने का आरोप है। विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में थाई अध्ययन के विशेषज्ञ टायरेल हेबरकोर्न ने कहा, ‘‘युवा मतदाताओं में वृद्धि और सैन्य शासन से हुए नुकसान को लेकर आम जागरूकता इस चुनाव के नतीजे तय करने में अहम साबित हो सकते हैं।

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