अब सिख धर्म के छात्र कृपाण यानि तलवार के साथ भी स्कूल जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कानून को पलटते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि कृपाण सिख धर्म का प्रतीक है, जिसे वह हमेशा अपने साथ रखते हैं। ऐसे में उन्हें इससे रोका नहीं जाना चाहिए। मामला आस्ट्रेलिया से जुड़ा है। यहां स्थित क्वींसलैंड के सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूल परिसर में सिख छात्रों के कृपाण पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को पलट दिया और इसे ‘असंवैधानिक’ करार दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल कमलजीत कौर अठवाल नामक व्यक्ति द्वारा राज्य सरकार को अदालत में चुनौती देने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला आया।
अठवाल ने अपनी याचिका में दावा किया गया था कि प्रतिबंध कृपाण के साथ भेदभाव करता है, जो सिख धर्म के पांच धार्मिक प्रतीकों में से एक है। कृपाण, सिख धर्म का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस धर्म के मानने वाले लोग हर समय कृपाण को अपने पास रखते हैं। ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट के अनुसार, क्वींसलैंड सर्वोच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को अपने फैसले में कहा कि "नस्लीय भेदभाव अधिनियम (आरडीए) के तहत छात्रों के स्कूल में कृपाण ले जाने पर प्रतिबंध असंवैधानिक है।
निचली अदालत ने सिखों की मांग कि किया था खारिज
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले आस्ट्रेलिया की " एक निचली अदालत के फैसले ने सिखों के इस दावे को खारिज कर दिया था कि यह अधिनियम भेदभावपूर्ण है। इसके बाद सिखों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है। इससे सिख धर्म के लोगों को बड़ी राहत महसूस हो रही है। (भाषा)
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