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ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में दोबारा हुआ सबसे चौंकाने वाला उलटफेर, अब पेजेशकियन ने सईद जलीली को छोड़ा पीछे

ईरान के राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब वोटों की गिनती जारी है। कई राउंड की काउंटिंग के बाद अब फिर से बड़ा उलटफेर हुआ है। शुरुआती रझानों में अब तक आगे चल रहे ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई के करीबी और कट्टरपंथी सईद जलीली अब सुधारवादी नेता पेजेशकियन से पीछे हो गए हैं।

ईरान में राष्ट्रपति चुनाव की एक झलक। - India TV Hindi Image Source : REUTERS ईरान में राष्ट्रपति चुनाव की एक झलक।

दुबईः ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव के बाद आज वोटों की गिनती जारी है। कई राउंड की काउंटिंग के बाद अब दोबारा राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों में बड़ा उलटफेर हुआ है। अभी तक शुरुआती रझानों में काफी आगे निकल चुके ईरान के कट्टरपंथी नेता सईद जलीली अब सुधारवादी नेता मसूद पेजेशकियन से पीछे हो गए हैं। चौंकाने वाले इन चुनावी परिणामों के रुझानों में सुधारवादी उम्मीदवार मसूद पेजेशकियन और कट्टरपंथी प्रत्याशी सईद जलीली के बीच अब कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।

ईरान के सरकारी टेलीविजन चैनल द्वारा प्रसारित प्रारंभिक परिणामों में दोनों में से किसी भी उम्मीदवार को चुनाव में सीधे जीत हासिल करने की स्थिति में नहीं दिखाया गया है, जिससे चुनाव परिणामों में शीर्ष दो स्थानों पर रहने वाले उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना नजर आ रही है। चैनल ने बताया कि एक करोड़ 20 लाख मतों की गिनती के बाद पेजेशकियन को 53 लाख वोट मिले, जबकि जलीली को 48 लाख वोट मिले हैं। संसद के कट्टरपंथी स्पीकर मोहम्मद बाघेर कलीबाफ को 16 लाख वोट मिले। शिया धर्मगुरु मुस्तफा पूरमोहम्मदी को करीब 95,000 वोट मिले हैं।

ईरान के कानून के अनुसार राष्ट्रपति बनने के लिए कितना वोट पाना है जरूरी

ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए शुक्रवार को मतदान हुआ था। ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मई में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु हो गई थी, जिस कारण देश में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराया गया। यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है, जब इजरायल-हमास के बीच जारी युद्ध को लेकर पश्चिम एशिया में व्यापक स्तर पर तनाव है और ईरान पिछले कई वर्षों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। ईरानी कानून के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करने पर ही कोई उम्मीदवार विजेता घोषित किया जा सकता हैं और यदि ऐसा नहीं होता है, तो शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होगा। ईरान के राष्ट्रपति पद के चुनावी इतिहास में केवल एक बार 2005 में ऐसा हुआ है जब कट्टरपंथी महमूद अहमदीनेजाद ने पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसंजानी को हराया था। (एपी) 

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