Scientists discovered new earth: सैकड़ों वर्षों से धरती के अलावा अन्य किसी ग्रह पर जीवन की संभावना की खोज अब सच होती दिख रही है। दरअसल वैज्ञानिकों ने अब एक अन्य धरती की खोज कर ली है। यह ग्रह मौजूदा धरती से पांच गुना से भी ज्यादा बड़ा है। यहां पर वैज्ञानिकों को पानी होने के भी पुख्ता संकेत मिले हैं। वैज्ञानिकों की इस खोज ने पूरी दुनिया में एक नया कौतूहल पैदा कर दिया है। क्या अब माना जाए कि वैज्ञानिकों की वह खोज पूरी हो गई है, जिसमें कि अब तक धरती के अतिरिक्त अन्य किसी जगह जीवन होने के संभावनाओं की तलाश जारी थी, क्या इस नई धरती का इस्तेमाल मौजूदा धरती का मानव किसी तरह से कर पाएगा। क्या कुछ लोग नई धरती पर पेयजल समेत जीने की अन्य अनुकूल परिस्थितियों मिलने पर वहां शिफ्ट हो जाएंगे, इत्यादि ऐसे तमाम सवाल हैं जो लोगों के जेहन में हैं। आइए सबसे पहले आपको बताते हैं कि यह नई धरती वैज्ञानिकों ने कैसे और कहां खोजी है।
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ मॉट्रिन्यल के शोधकर्ताओं के अनुसार उन्होंने पृथ्वी जैसा ही एक दूसरा ग्रह खोजा है। जो कि मौजूदा पृथ्वी से आकार में पांच गुना बड़ा बताया जा रहा है। यहां काफी अधिक मात्रा में पानी होने के संकेत भी मिले हैं। इससे वैज्ञानिकों की जिजीविषा इस ग्रह के बारे में और अधिक सूचनाएं जुटाने के लिए बढ़ गई हैं। इस नए ग्रह को वैज्ञानिकों ने टीओआइ, 1452-बी नाम दिया है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि इस धरती के एक नहीं बल्कि दो-दो सूर्य हैं। जिनमें से एक इस धरती की परिक्रमा भी करता है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से पांच गुना अधिक है।
पृथ्वी से 100 प्रकाश वर्ष दूर है ग्रह
पृथ्वी से इस नए ग्रह की दूरी वैज्ञानिकों ने 100 प्रकाश वर्ष बताई है। जोकि मौजूदा धरती से बहुत अधिक दूर है। यह ग्रह धरती से बिलकुल मिलता जुलता है। इसलिए वैज्ञानिक इसे बड़ी धरती कह रहे हैं। यहां भी जीवन की संभावना बढ़ गई है, क्योंकि इस धरती पर जीने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी पानी होने का संकेत मिला है।
नासा भी कर चुका है 37 प्रकाश वर्ष दूर नई धरती खोजना का दावा
अभी कुछ दिन पहले ही नासा भी धरती जैसा दूसरा ग्रह खोजने का दावा किया था। यह मौजूदा धरती से चार गुना बड़ा और 37 प्रकाश वर्ष दूर बताया गया था। वैज्ञानिकों ने इसे एसोप्लैनेट रॉस 508 बी का नाम दिया। यहां एक साल 11 दिन के बराबर होता है। जबकि धरती पर एक वर्ष में 365 दिन होते हैं। अभी यहां जीवन की संभावनाओं पर वैज्ञानिक और अधिक रिसर्च कर रहे हैं।
मौजूदा धरती कैसी है
जिस धरती पर हम लोग जीवन यापन कर रहे हैं क्या आप उसके पूरे स्वरूप के बारे में जानते हैं, यदि नहीं तो आइए आपको हम बताते हैं.....यह सौरमंडल में सूर्य से तीसरा ग्रह है। इसका 71 फीसद भाग जल से और 29 फीसद भूमि से भरा है। धरती की उत्पत्ति 4.54 अरब वर्ष पहले मानी जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती पर जीवन का विकास महासागर से होते हुए स्थल तक हुआ है। यहां हजारों प्रजातियां लुप्त हो गईं और हजारों नई पैदा हुईं। इसके वायुमंडल की कई परते हैं। इसमें नाइट्रोजन और आक्सीजन की अधिकता है। वायुमंडल में ओजोन गैस की भी एक परत है जो सूर्य की परावैगनी किरणों को सीधे धरती पर आने से रोकती हैं। इसीलिए यहां जीवन जीना संभव हो पाता है।
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