इंटरनेट पर ऐसी बहुत सी कहानियां वायरल हैं, जिनसे पता चलता है कि इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन काफी क्रूर थे। जहां कुछ लोग उन्हें मसीहा बताते हैं तो वहीं कुछ लोग उनसे काफी नफरत करते हैं। अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन सद्दाम हुसैन को 5 नवंबर, 2006 को मौत की सजा सुनाई गई थी और 30 दिसंबर, 2006 को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। सद्दाम हुसैना को वैसे तो बेहद आलीशान महलों और मस्जिदों का शौक था लेकिन इराक की एक मस्जिद ऐसी भी है, जहां ऐसी कुरान रखी गई है, जिसे पन्नों पर सद्दान हुसैन के खून से लिखा गया है।
सद्दाम ने कुरान को स्याही के बजाय खून से लिखने का आदेश दिया था। इसके लिए उन्होंने खुद ही अपना खून निकलवाया। सद्दाम ने कुरान के लिए तीन साल तक अपना 26 लीटर खून निकाला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक नर्स लगभग हर हफ्ते उनके हाथ से खून निकाला करती थी। आज भी इस कुरान के सभी 605 पन्नों को लोगों के दिखाने के लिए अलग-अलग कांच के फ्रेम में इराक की एक मस्जिद में रखा गया है, जिसे खुद सद्दाम हुसैन ने बनवाया था।
कुछ लोगों ने बताया राजनीतिक छलावा
अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर कंटेम्परेरी अरब स्टडीज के निदेशक जोसेफ सैसून के मुताबिक, कुरान को एक भव्य समारोह में सद्दाम हुसैन के सामने पेश किया गया। सद्दाम ने कहा कि उन्होंने अल्लाह की किताब अपने खून से लिखकर पेश की है। कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने इस कुरान के रूप में अल्लाह का शुक्रिया इसलिए अदा किया था, क्योंकि उनका बेटा 1996 की जंग में बच गया था। तो वहीं कुछ लोग इसे 'राजनीतिक छलावा' भी कहते हैं।
Image Source : Twitterसद्दाम हुसैन के खून से लिखी गई थी कुरान
सद्दाम को सता रहा था हत्या का डर
सद्दाम हुसैन के जीवन के कई पहलू थे। अपने अंतिम दिनों में उनका व्यवहार खुद से एकदम विपरीत था, जो अपने मंत्रियों को छोटी-छोटी बातों पर कड़ी सजा देते थे। राजनीतिक जीवन में सद्दाम को हमेशा यह डर सताता था कि कहीं उनकी हत्या न कर दी जाए। उनके ही बावर्ची का बेटा उन्हें परोसे जाने वाले खाने में विष का परीक्षण करता था ताकि उनका रसोइया कभी भी उसके भोजन में विष न मिला सके।
अमेरिका के सैनिक तक रो पड़े थे
आपको ये बात जानकर भी हैरानी होगी कि सद्दाम के महल में आने वाले मांस और अन्य खाद्य पदार्थों की जांच पहले परमाणु वैज्ञानिक करते थे। उनके स्विमिंग पूल की भी नियमित जांच की जाती थी और उसका तापमान नियंत्रित किया जाता था। दुनिया ने सद्दाम के जिस रूप को देखा था, वो उनके मरने के बाद और अधिक स्पष्ट हो गया। सद्दाम की फांसी के बाद जहां एक तरफ इराक के लोग उनकी लाश पर थूक रहे थे और उसके साथ बदसलूकी कर रहे थे, वहीं उनके आखिरी दिनों में उनकी सुरक्षा में तैनात 12 अमेरिकी सैनिकों की आंखें नम थीं।
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