दुनिया के दो ताकतवर मुस्लिम देशों में बड़ा विवाद पैदा हो गया है। यह दो ऐसे मुस्लिम दोस्त देश हैं, जिनकी दोस्ती पूरी दुनिया में जगजाहिर है। इन दो मुस्लिम देशों की दोस्ती से अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश भी घबराते हैं। मगर अब इन दो देशों की दोस्ती में दरार पैदा होने लगी है। इन दोनों देशों की दोस्ती में दरार आने की वजह फारस की खाड़ी है। आइए आपको बताते हैं कि कैसे फारस की खाड़ी दो मुस्लिम दोस्त देशों के बीच बड़े विवाद की जड़ बन गई है। इसे लेकर अब रूस और ईरान आमने सामने हैं। जबकि ये दोनों देश आपस में अच्छे दोस्त कहे जाते हैं। मगर फारस की खाड़ी के विवाद के चलते ईरान ने अपने दोस्त देश के दूत को तलब कर लिया है। इससे तनाव बढ़ने लगा है।
दरअसल फारस की खाड़ी में विवादित द्वीपों पर बयान को लेकर ईरान ने रूसी दूतावास के प्रभारी को तलब कर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। ईरान की मीडिया ने रविवार को यह जानकारी दी। बता दें कि रूस और अरब देशों ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक संयुक्त बयान जारी कर फारस की खाड़ी में विवादित द्वीपों पर ईरान के दावे को चुनौती दी थी। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने कहा कि रूसी दूत को शनिवार को इस मामले में तलब कर मॉस्को को देने के लिए एक नोट सौंपा है। इसमें तेहरान ने मोरक्को में जारी छठे अरब-रूसी सहयोग मंच के बयान का विरोध किया है, जिसमें द्वीपों पर ईरान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच विवाद को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया गया था।
ईरान के विदेश मंत्री ने रूसी समकक्ष से की फोन पर बात
फारस की खाड़ी का विवाद बढ़ने के बाद ईरान के विदेश मंत्री ने अपनी रूसी समकक्ष से फोन पर बातचीत भी की है। इरना ने एक अलग रिपोर्ट में कहा कि शनिवार को, ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने अपने रूसी समकक्ष से फोन पर इस बारे में वार्ता की और कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय संबंधों में देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करना बुनियादी सिद्धांतों में से एक है।’’ इस साल यह दूसरी बार है जब ईरान ने विवादित द्वीपों पर टिप्पणियों के विरोध में रूसी दूत को तलब किया है। तेहरान ने इसी तरह के एक बयान पर जुलाई में रूसी राजदूत को तलब किया था। (एपी)
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