Palestinian refugees: फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए राहत कार्य करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए ने भारत से मिली 25 लाख डॉलर की मदद के लिए उसकी सराहना की। यह राशि फलस्तीनी शरणार्थियों की सहायता के लिए संगठन द्वारा संचालित विद्यालयों, स्वास्थ्य सेवा केंद्रों और अन्य मूलभूत सेवाओं को सीधे मुहैया कराई जाएगी। विदेश मंत्रालय में पश्चिम एशिया एवं उत्तर अफ्रीका (डब्ल्यूएएनए) प्रभाग के निदेशक सुनील कुमार ने पिछले शुक्रवार को यरूशलम में यूएनआरडब्ल्यूए अधिकारियों को भारत की ओर से चेक प्रदान किया था।
भारत की सराहना
यूएनआरडब्ल्यूए की प्रवक्ता तमारा अल्फीराई ने कहा, 'हमें भारत की ओर से मिलने वाली सालाना मदद (कुल 50 लाख डॉलर) की आधी राशि (25 लाख डॉलर) मिल गई है, जिसके लिए हम उसके आभारी हैं। भारतीय योगदान से यूएनआरडब्ल्यू के मुख्य बजट में मदद मिलती है, यानी यह राशि फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संचालित हमारे विद्यालयों, स्वास्थ्य सेवा केंद्रों और अन्य मूलभूत सेवाओं में सीधे जाती है।' उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने 2018 से यूएनआरडब्ल्यूए को दो करोड़ डॉलर की सहायता दी है।' यूएनआरडब्ल्यूए में 'डिपार्टमेंट ऑफ एक्स्टर्नल रिलेशंस' में साझेदारी निदेशक करीम आमेर ने भारत की सराहना करते हुए कहा, 'समय पर दिया गया यह योगदान यूएनआरडब्ल्यू के काम के प्रति भारत के दृढ़ सहयोग और फलस्तीनी शरणार्थियों के कल्याण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।'
कोरोना काल में भी भारत ने की मदद
कई साल तक संगठन में सेवाएं दे चुके एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने भाषा को बताया कि, 'भारत सरकार जैसे मददगारों के लगातार सहयोग के कारण ही एजेंसी लगातार चुनौतियों के बीच पश्चिम एशिया में फलस्तीनी शरणार्थियों को अहम सेवाएं मुहैया करा पा रही है। भारत वैश्विक महामारी में भी हमें नहीं भूला।' विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने 23 जून, 2020 में आयोजित हुए यूएनआरडब्ल्यूए के 'असाधारण मंत्रिस्तरीय प्रतिज्ञा सम्मेलन' के दौरान घोषणा की थी कि भारत अगले दो वर्षों में एजेंसी को एक करोड़ डॉलर का योगदान देगा। पंजीकृत फलस्तीनी शरणार्थियों की संख्या में तेजी आने से यूएनआरडब्ल्यूए की सेवाओं की मांग बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2018 में फलस्तीन की यात्रा की थी। यह भारत के किसी प्रधानमंत्री की फलस्तीन की पहली यात्रा थी। मोदी की यात्रा के दौरान भारत ने यूएनआरडब्ल्यूए के मुख्य बजट में दी जाने वाली भारतीय सहायता को चार गुणा बढ़ाकर 12 लाख 50 हजार डॉलर से 50 लाख डॉलर कर दिया था।
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