Joe Biden-Crown Prince MBS: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन मध्य पूर्व के दौरे पर निकले हैं। वह सबसे पहले इजरायल पहुंचे हैं। यहां उन्होंने आने के बाद उन 60 लाख यहूदियों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए राष्ट्रीय होलोकॉस्ट स्मारक का दौरा किया। ये वो लोग थे, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी जर्मनी और सहयोगियों ने मारा था। बाइडेन ने ‘‘याद वाशेम’’ में अपने पड़ाव के दौरान स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और दो जिंदा बचे लोगों 86 वर्षीय रेना क्विंट और जिसेल साइकोविक्ज (95) से मुलाकात की। उनके साथ इस दौरान इजरायल के प्रधानमंत्री यायर लैपिड और रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज भी मौजूद थे। अब यहां के बाद वह सऊदी अरब के दौरे पर जा रहे हैं।
यूं तो बाइडेन अपनी मध्य पूर्व की यात्रा के दौरान कई देशों का दौरा करेंगे लेकिन सबसे अधिक चर्चा उनके सऊदी अरब दौरे की हो रही है। जहां वह क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान यानी एमबीएस के साथ न केवल बैठक करेंगे बल्कि उनके साथ तस्वीर भी क्लिक करवाएंगे। इन दोनों की इस मुलाकात पर इस समय दुनियाभर में खूब चर्चा हो रही है। सभी का ध्यान उस बैठक पर होगा, जिसमें बाइडेन और एमबीएस एक साथ होंगे। दरअसल बाइडेन ने एमबीएस को लेकर कई बार ऐसे बयान दिए हैं, जिससे क्राउन प्रिंस का नाराज होना लाजमी है। बाइडेन ने इतना तक कह दिया था कि वह अगर सऊदी अरब गए, तो सीधा किंग से मुलाकात करेंगे, वह एमबीएस से नहीं मिलेंगे।
बाइडेन ने एमबीएस के लिए क्या कहा था
बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के समय कसम खाई थी कि सऊदी अरब को सज़ा देकर अमेरिका तानाशाहों को सबक सिखाएगा। उन्होंने यहां तानाशह कहकर एमबीएस की तरफ इशारा किया था। बाइडेन ने 2019 में डेमोक्रेटिक पार्टी के डिबेट में ये सब कहा था। उन्होंने ये भी कहा था कि वह मोहम्मद बिन सलमान के खतरे को समझते हैं। बाइडेन ने एमबीएस को लेकर ये बातें पत्रकार जमाल खशोगी मामले में कही थीं। खशोगी की करीब चार साल पहले तुर्की के इस्तांबुल में सऊदी दूतावास के भीतर हत्या कर दी गई थी। वह मूल रूप से सऊदी अरब के थे और अमेरिका में वाशिंगटन पोस्ट के लिए स्तंभ लिखा करते थे। ऐसी कई जांच रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें कहा गया कि इस हत्या का आदेश एमबीएस ने दिया थ।
सऊदी अरब जाने के पीछे क्या है मजबूरी
बाइडेन के सऊदी अरब आने और यहां मोहम्मद बिन सलमान यानी एमबीएस से मुलाकात करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है तेल. यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम काफी बढ़ गए हैं। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है, तेल की सप्लाई करने में सक्षम रूस पर प्रतिबंध लगना। जो न केवल अमेरिका बल्कि यूरोप के भी कई देशों ने लगाए हैं। इस वजह से तेल के दाम काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। इन दामों को कम करने का सिर्फ एक ही रास्ता है, और वो है सऊदी अरब का तेल प्रोडक्शन बढ़ाना। इस बाबत बाइडेन ने सऊदी अरब से आग्रह किया था, जिसे उसने मानने से इनकार कर दिया। ऐसे में अब माना जा रहा है कि बाइडेन के आगे मजबूरी है, कि उन्हें उसी एमबीएस के साथ बैठक करनी होगी, जिनसे मिलने से कभी उन्होंने इनकार कर दिया था। बाइडेन का एक अन्य मकसद अपनी गिरती रेटिंग को बढ़ाना भी है।
सऊदी अरब को कई बार किया नाराज
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते काफी अच्छे थे। लेकिन बाइडेन के आने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में काफी खटास आ गई। बाइडेन ने यमन युद्ध में अमेरिका की तरफ से सऊदी अरब को दिया जाने वाला सहयोग वापस ले लिया था। उन्होंने एक तरह से मध्य पूर्व क्षेत्र का जिक्र करना ही बंद कर दिया, ऐसा लगा मानो अमेरिका की तस्वीर क्षेत्र से धुंधली होती जा रही है। इसके अलावा बाइडेन ने लगातार एमबीएस को लेकर उल जलूल बयान दिए। ऐसी भी रिपोर्ट्स आईं, जिनमें कहा गया कि जो बाइडेन का मानना है कि जमाल खशोगी को मारने का आदेश एमबीएस ने ही दिया था।
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