आज ही के दिन देश पर एक ऐसा आतंकी हमला हुआ था, जिसे कोई भारतवासी कभी नहीं भूल सकता। पूरी दुनिया ने इसका दर्द देखा था। 20 नवंबर, साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों में कई लोगों ने अपनों को खो दिया था। उन्हीं में से एक मोशे होल्ट्जबर्ग भी हैं। अपने माता-पिता को खोने वाले इजरायली व्यक्ति मोशे होल्ट्जबर्ग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद से निपटने के रास्ते तलाशने का अनुरोध किया है ताकि “उनपर जो गुजरी है, वह किसी पर न गुजरे।” 26/11 हमलों के समय दो साल के रहे मोशे अब 16 वर्ष के हो चुके हैं। वह हमले में बचे सबसे युवा व्यक्ति हैं।
हमले के दौरान वह और उनकी भारतीय आया सैंड्रा मुंबई में नरीमन हाउस में घिर गए थे, जिसे चाबाड़ हाउस के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान मोशे को सीने से लगाए हुए सैंड्रा की तस्वीर ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था। पाकिस्तान में स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के इन हमलों में मोशे के पिता रब्बी गैब्रिएल होल्ट्जबर्ग और रिवका होल्ट्जबर्ग की मौत हो गई थी। मोशे के माता-पिता मुंबई में चाबाड़ आंदोलन के दूत थे। परिवार ने बृहस्पतिवार को हिब्रू कैलेंडर के अनुसार यरूशलम में एक कब्रिस्तान में अपने प्रियजन की याद में प्रार्थना की।
मोशे के परिवार ने हाल ही में एक रिकॉर्डेड संदेश साझा किया, जिसमें मोशे को अपनी आया सैंड्रा के साहस के बारे में बताते हुए सुना जा सकता है, जिसकी वजह से वह जिंदा बच पाए। मोशे ने कहा कि उनकी जान बचाने के लिए उसने खुद अपनी जान जोखिम में डाल दी। संदेश के अंत में मोशे ने विनम्र अपील की कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कदम उठाने चाहिए ताकि “उनपर जो गुजरी है, वह किसी पर न गुजरे।” उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में विभिन्न स्थान पर हुए आतंकवादी हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी।
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