लाल सागर में अब हूती विद्रोहियों की खैर नहीं होगी। भारतीय नौसेना ने लाल सागर में लगातार वाणिज्यिक जहाजों पर हो रहे हमले के खिलाफ अभियान शुरू कर चुकी है। पिछले कुछ दिनों में हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में कई देशों की वाणिज्यिक जहाजों पर ड्रोन हमले किए हैं। मगर इन सभी को समुद्री सुरक्षा देने के लिए भारत प्रतिबद्ध है। अब लाल सागर में भारतीय नौसेना के अभियान से हूती विद्रोहियों में खलबली मच गई है। भारत ने हुती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में जहाजों पर हमले तेज किए जाने की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को कहा कि वह उस क्षेत्र में उभरती स्थिति के सभी पहलुओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन कर रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह भी कहा कि भारत लाल सागर में और इसके आसपास किसी भी बहुपक्षीय पहल या अभियान का हिस्सा नहीं है। बागची ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘जैसा कि हमने पहले कहा है कि हम वाणिज्यिक पोतों की मुक्त आवाजाही को महत्व देते हैं, जो वैश्विक वाणिज्य को रेखांकित करने वाले मूलभूत सिद्धांतों में से एक है।’’ उन्होंने कहा, "हम उस क्षेत्र में सामने आ रही स्थिति के सभी पहलुओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन कर रहे हैं। हमारे रक्षा बल इस संबंध में आवश्यक उपाय कर रहे हैं।" विस्तृत जानकारी दिए बिना, बागची ने कहा कि रक्षा बल आवश्यक उपाय कर रहे हैं।
लाल सागर के साथ अरब सागर में भी भारतीय नौसेना चला रही अभियान
भारतीय नौसेना ने मंगलवार को कहा कि उसने व्यापारिक जहाज एमवी केम प्लूटो पर हमले सहित क्षेत्र में हाल की घटनाओं के मद्देनजर अरब सागर में केंद्रित समुद्री सुरक्षा अभियान शुरू किया है। लाइबेरिया के ध्वज वाला पोत पिछले शनिवार को भारत के पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र में ड्रोन हमले का निशाना बना था, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हो गईं। एमवी केम प्लूटो के अलावा, भारत की ओर आ रहा एक अन्य वाणिज्यिक तेल टैंकर ‘एमवी साईं बाबा’ उसी दिन दक्षिणी लाल सागर में एक संदिग्ध ड्रोन हमले की चपेट में आ गया।
चीन सीमा पर रेजांग ला स्मारक हटाने की अफवाह को बताया गलत
मीडिया में आई इन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि पूर्वी लद्दाख में रेजांग ला स्मारक को चीन के साथ सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में ध्वस्त कर दिया गया था, बागची ने कहा कि इसमें किसी बदलाव का कोई भी आरोप "गलत" है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "आपमें से बहुत से लोग जानते हैं कि सीमा पर रेजांग ला के नायकों के लिए एक लंबे समय से स्मारक (समर्पित) है। उस स्मारक में कोई बदलाव होने का आरोप गलत है।" सेना के सूत्रों ने भी यह कहा कि स्मारक में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेज़ांग ला स्मारक मेजर शैतान सिंह सहित सेना के उन जवानों को समर्पित है, जिन्होंने 1962 के युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में आए चीनी सैनिकों के खिलाफ अत्यंत वीरता के साथ लड़ाई लड़ी थी। (भाषा)
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