भारत और अमेरिका संबंधों की नई ऊंचाई को छूने जा रहे हैं। अब भारत और अमेरिका की विदेश नीती और रक्षानीति दुनिया को एक नई दिशा देगी। यह दोनों देशों के बीच संबंधों का स्वर्णिम काल कहा जा सकता है। इसकी एक वजह है यह भी है कि भारत अब अमेरिका का स्ट्रैटेजिक पार्टनर बन चुका है। ऐसे में दोनों देशों के बीच रिश्तों का प्रगाढ़ होना स्वाभाविक है। टू प्लस टू वार्ता के दौरान भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, सुरक्षा, तकनीकि और व्यापार व निवेश के क्षेत्र में कई बड़े समझौते और ऐलान होने की उम्मीद है। ऐसे में पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों का जलना स्वाभाविक है।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन इस महीने नयी दिल्ली में आयोजित होने वाली ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के लिए भारत की यात्रा करेंगे और यहां अपने भारतीय समकक्षों विदेश मंत्री एस जयशंकर एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बुधवार को जारी एक बयान में बताया कि ब्लिंकन 2 नवंबर से 10 नवंबर तक कई देशों की यह यात्रा करेंगे। उन्होंने बताया कि वह पहले इजराइल और जॉर्डन की यात्रा करेंगे और फिर हिंद-प्रशांत के देशों जापान, दक्षिण कोरिया और सबसे आखिर में भारत जाएंगे। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल नयी दिल्ली में ‘टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता’ में भाग लेगा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए बनेगी नई रणनीति
मिलर ने कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल द्विपक्षीय और वैश्विक चिंताओं के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र के विकास पर चर्चा करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से मुलाकात करेगा।’’ ब्लिंकन बृहस्पतिवार को इजरायल रवाना होंगे। मिलर ने कहा, ‘‘ब्लिकंन इजराइल में अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप कदम उठाकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी रक्षा करने के इजराइल के अधिकार के प्रति अमेरिका का समर्थन दोहराएंगे और इजराइल, वेस्ट बैंक एवं गाजा में अमेरिकी नागरिकों की रक्षा करने के प्रयासों, बंधकों की तत्काल रिहाई सुरक्षित करने के लिए काम करने, आम फलस्तीनी नागरिकों के लिए गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने तथा संघर्ष पर और इसे फैलने से रोकने पर चर्चा करेंगे।
’’ इसके बाद वह जॉर्डन की यात्रा करेंगे। ब्लिंकन एक स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के उद्देश्य से सहयोगात्मक प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए जापान, दक्षिण कोरिया और भारत में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। (भाषा)
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