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ग्लोबल साउथ का "ऊर्जा" सप्लायर बनने की राह पर भारत, जोहांसबर्ग के सम्मेलन से अमेरिका और चीन तक खलबली

ग्लोबल साउथ में भारत की लगातार बढ़ती सक्रियता से अमेरिका और चीन जैसे देशों को गहरी चिंता होने लगी है। अब भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बन चुका है। इसके बाद वह इन देशों का "ऊर्जा" सप्लायर बनने की राह पर है।

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा (फाइल फोटो)- India TV Hindi Image Source : AP दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा (फाइल फोटो)

जोहांसबर्ग: भारत अब ग्लोबल साउथ का सबसे बड़ा ऊर्जा सप्लायर बनने की राह पर है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत ग्लोबल साउथ के लिए सबसे बड़ा उर्जा सप्लायर बनकर उभरेगा। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच बृहस्पतिवार को एक बड़ा ऊर्जा सम्मेलन हुआ है, जहां ग्लोबल साउथ के लिए भविष्य के संबंधों की नींव रखी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले हाल ही में ब्राजील में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान ग्लोबल साउथ के देशों में भारत की ऊर्जा भागेदारी बढ़ाने का संकेत दिया था। अब जोहांसबर्ग में भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए एक अहम ऊर्जा सम्मेलन ने अमेरिका से लेकर चीन तक चिंता पैदा कर दी है। 

बता दें कि इस दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच जोहानिसबर्ग में पहला ऊर्जा सम्मेलन बृहस्पतिवार को आयोजित हुआ है। इस दौरान दोनों देशों के बीच भविष्य के ऊर्जा पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए एक बड़ा समझौता भी किया गया। आयोजकों ने 2 दिवसीय इस सम्मेलन को अत्यंत सफल बताया। ‘मतला-ऊर्जा एनर्जी कॉन्फ्रेंस’ (सेसोथो भाषा में ‘मतला’ का अर्थ होता है ‘शक्ति’) नामक इस सम्मेलन में 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने ऊर्जा क्षेत्र में अपने विचार साझा किए। बृहस्पतिवार शाम समापन रात्रिभोज में कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए महावाणिज्य दूत महेश कुमार ने सम्मेलन की कुछ सफलताओं पर प्रकाश डाला। कुमार ने कहा, ‘‘हम भारतीय व्यवसायों और शिक्षा जगत तथा दक्षिण अफ्रीका के उनके समकक्षों के सर्वश्रेष्ठ लोगों को एक साथ लाए हैं।

भारत-दक्षिण अफ्रीका की गहरी हो रही दोस्ती

वर्ष 2023 में जब से भारत ने दक्षिण अफ्रीका को जी-20 का स्थाई सदस्य बनवाया है, तब से ग्लोबल साउथ के देशों में उसकी पकड़ लगातार मजबूत होती जा रही है। साथ ही दक्षिण अफ्रीका के साथ दोस्ती और भी गहरी हुई है। बता दें कि बुधवार को भारतीय और दक्षिण अफ्रीकी शिक्षाविद एवं शोधकर्ता शैक्षणिक विद्युत क्षेत्र सुधारों, विद्युत के भविष्य, ऊर्जा मॉडलिंग, मूल्य निर्धारण तथा इसके सामाजिक-आर्थिक पहलुओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद, बृहस्पतिवार को हमने व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा को आगे बढ़ाया कि व्यवसाय इन मुद्दों को लेकर कैसा दृष्टिकोण रखता है।’’

राजनयिक ने कहा, ‘‘यह उन विशाल अवसरों को दर्शाता है जो विद्युत क्षेत्र में सभी के लिए मौजूद हैं। हमारे दृष्टिकोण से, ये दो दिवसीय वार्ता बहुत सफल रही।’’ विट्स बिजनेस स्कूल के प्रमुख प्रोफेसर मौरिस राडेबे ने कहा कि सम्मेलन से प्रतिनिधियों को गरीबी और भुखमरी को कम करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र के रणनीतिक विकास लक्ष्यों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली। (भाषा) 

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