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Hindi News विदेश अन्य देश "हर मुसलमां के इक चाह दबी है सीने में, मक्का में हो मौत अगर...हो जाएं दफन मदीने में"; सऊदी से क्यों नहीं ला सकते हाजियों के शव?

"हर मुसलमां के इक चाह दबी है सीने में, मक्का में हो मौत अगर...हो जाएं दफन मदीने में"; सऊदी से क्यों नहीं ला सकते हाजियों के शव?

सऊदी अरब में अगर किसी हाजिये यानी हज यात्री की मौत हो जाती है तो उसके शव को कोई भी देश वापस नहीं ले जा सकता। सऊदी अरब सरकार मृतक हाजियों के शवों को वहीं दफन करवा देती है और संबंधित दूतावासों के माध्यम से मृतकों के परिवारजनों को मृत सर्टीफिकेट जारी कर दिया जाता है।

मक्का। - India TV Hindi Image Source : PTI मक्का।

नई दिल्लीः क्या आप जानते हैं कि सऊदी अरब में मक्का मस्जिद के लिए हज करने गए यात्रियों की यदि वहां किसी कारणवश मौत हो जाती है तो उनके शव को उनका कोई भी परिवारीजन अपने देश वापस नहीं ला सकता, बल्कि सभी मृतकों को वहीं दफना दिया जाता है। यह नियम सऊदी अरब सरकार की ओर से खुद बनाया गया है। अगर हज की यात्रा पर गए किसी भी मुसलमान की मौत हो जाती है तो वहां के सरकारी तंत्र द्वारा उसे वहीं अलग-अलग कब्रिस्तानों में दफन कर दिया जाता है। उनमें से किसी के भी शव को सऊदी अरब की सरकार अपने देश ले जाने की इजाजत नहीं देती। 

दिल्ली राज्य सरकार की हज कमेटी के एक अधिकारी ने बताया कि यह नियम शुरू से चला आ रहा है। किसी भी हज यात्री की मौत हो गई तो हाजियों को वहीं दफन कर दिया जाता है। सऊदी अरब का प्राधिकरण मृतक के परिवारजन या रिश्तेदार को वहीं मौत का सर्टीफिकेट भी उपलब्ध करवा देता है। इसके लिए एक मुअल्लिम की नियुक्ति की जाती है। एक मुअल्लिम 5 हजार हाजियों की देखरेख करता है। वह लोगों को मक्का और मदीना भेजवाने से लेकर उनकी मौत होने पर उनको दफन करवाने तक का इंतजाम करवाता है। इस तरह से हर 5 हजार यात्रियों पर एक मुअल्लिम की जिम्मेदारी तय की जाती है। 

दूतावासों को किया जाता है सूचित

अधिकारी ने बताया कि किसी भी व्यक्ति की मौत होने पर मुअल्लिम संबंधित देशों के कॉन्सुलेट को सूचित करता है। उसके माध्यम से परिवारजनों को सूचना पहुंचती है और उन्हें मौत का प्रमाण पत्र भी दे दिया जाता है। ज्यादातर मुसलमानों को मदीना में स्थित "जन्नत-उल-बकी" नामक कब्रिस्तान में दफनाया जाता है। कहा जाता है कि यहां मोहम्मद साहब भी दफन किए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि जन्नत-उल-बकी में जो दफन होगा, उसे जन्नत नसीब होगी। इसलिए हर हाजी और उसके परिवार के लोग यही चाहते हैं कि यदि यात्रा के दौरान उनकी मौत हो गई तो उसे वहीं मक्का-मदीना में दफन कर दिया जाए। 

सऊदी सरकार क्यों नहीं ले जाने देती शव

सऊदी सरकार ने मृतकों के शव को वापस नहीं ले जा सकने का नियम इसलिए भी बनाया है कि हज यात्रा के दौरान 20 लाख के करीब यात्री प्रतिवर्ष मक्का पहुंचते हैं। इसमें तमाम देशों के हाजी शामिल होते हैं। हज के दौरान यदि मृतकों के शव को लौटाने की प्रक्रिया शुरू की जाए, तो इसमें बहुत अधिक समय लग जाएगा। इससे मक्का में हज संबंधी अन्य व्यवस्थाएं भी बेपटरी हो जाएंगी। वहीं दूसरी तरफ किसी भी मृतक का परिवारजन नहीं चाहेगा कि मक्का में मौत होने पर वह अपनों के शव को वापस मंगाए। ऐसे में सऊदी सरकार ने वहीं दफन कराने का नियम लागू किया है। इसके मुताबिक कोई चाहकर भी मृतक हाजियों का शव अपने देश वापस नहीं ले जा सकता। 

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