संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में चल रहे कॉप-28 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में एक मुद्दे पर पहली बार चीन भारत के साथ खड़ा नजर आया। भारत ने 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के संकल्प पर हस्ताक्षर करने से परहेज किया, क्योंकि मसौदा पत्र में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का उल्लेख था, जिसका भारत समर्थन नहीं करता है। भारत के साथ ही साथ चीन भी इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया। सम्मेलन में शामिल होने आए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
भारत और चीन दोनों ने शनिवार को सीओपी28 जलवायु शिखर सम्मेलन में 2030 तक दुनिया की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के संकल्प पर हस्ताक्षर करने से परहेज किया। हालांकि, भारत पहले ही जी20 की उसकी अध्यक्षता में हुई बैठक में इस संबंध में अपनी प्रतिबद्धता जता चुका है। यहां संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता के दौरान, 118 देशों ने 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने की प्रतिबद्धता जताई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के एक सूत्र ने कहा कि भारत ने प्रतिबद्धता मसौदे पर हस्ताक्षर करने से परहेज किया क्योंकि मसौदा में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म/बंद करने का उल्लेख था, जिसका वह समर्थन नहीं करता है।
भारत का ये है मत
भारत देशों से कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए एक संकीर्ण समझौते के बजाय सभी जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के लिए सहमत होने के लिए कह रहा है। सूत्र ने कहा कि भारत सितंबर में दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने पर पहले ही एक समझौता कर चुका है और देशों के एक समूह द्वारा ली गई प्रतिज्ञा जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा समझौते (यूएनएफसीसीसी) के दायरे से बाहर थी। सीओपी28 के दौरान जताई गई प्रतिबद्धता में रोकटोक के बिना कोयला आधारित बिजली उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से बंद करने और नए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के वित्तपोषण को समाप्त करने का आह्वान किया गया है। (भाषा)