China Pacific Plan: चीन पिछले कुछ सालों में अमेरिका के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी के रूप में उभरा है। उसने दुनिया में अपनी पोजिशनिंग इस तरह से कर रखी है कि अब अमेरिका चाहकर भी उसका बहुत नुकसान करने की हालत में नहीं लगता। बीते अप्रैल में जब चीन ने सोलोमन आईलैंड्स के साथ सुरक्षा समझौता किया था तब अमेरिका और इसके सहयोगी देशों ने यह कहते हुए चिंता जताई थी कि अमेरिकी नेवी के प्रभुत्व वाले दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में चीन कोई आर्मी बेस तैयार कर सकता है। चीन के हालिया कदम को देखते हुए उनकी आशंका गलत भी नहीं लग रही है।
...तो अमेरिका के ‘गले’ तक पहुंच जाएगा चीन का हाथ
दरअसल, चीन ने इस हफ्ते इस विवाद को और हवा देते हुए सोलोमन आईलैंड्स एवं 9 अन्य द्वीपीय राष्ट्रों के समक्ष सुरक्षा प्रस्ताव रखे हैं। चिंता की बात यह है कि यदि इसमें ड्रैगन को थोड़ी-बहुत भी कामयाबी मिलती है तो उसकी पहुंच चीन-प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति हवाई, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अमेरिकी क्षेत्र गुआम के बहुत करीब तक हो जाएगी। चीन ने जोर देकर कहा है कि उसका प्रस्ताव क्षेत्रीय स्थायित्व और आर्थिक विकास के लिए है, लेकिन विशेषज्ञों और विभिन्न सरकारों को आशंका है कि इसकी आड़ में चीन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके में अपने विस्तार देने में जुटा है।
फिलहाल पूरे इलाके में अमेरिका का है एकछत्र राज
चीन यदि इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करता है तो उसे निश्चित तौर पर अमेरिका की तरफ से टकराव का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि फिलहाल इस पूरे इलाके में अमेरिका का एकछत्र राज है। इस बीच चीन के लक्षित देशों में से एक मैक्रोनेसिया के राष्ट्रपति डेविड पैनुएलो ने अन्य देशों को आगाह किया है कि वे समझौता न करें, नहीं तो पूरे इलाके में शीतयुद्ध शुरू होने का खतरा है। उन्होंने कहा कि सिर्फ इतना ही नहीं, हालात ज्यादा खराब हुए तो एक विश्वयुद्ध भी हो सकता है।
‘परस्पर लाभ के सिद्धांत पर आधारित है चीन का प्रस्ताव’
एपी की रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के ड्राफ्ट प्रोपोजल से यह पता चलता है कि चीन प्रशांत पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग देना चाहता है और साथ ही ‘परम्परागत और गैर-परम्परागत सुरक्षा’ को संगठित करना और कानून प्रवर्तन सहयोग को बढ़ाना चाहता है। चीन संयुक्त रूप से मछली उद्योग के लिए समुद्री योजना विकसित करना और प्रशांत राष्ट्रों के साथ मुक्त कारोबार की संभावना भी तलाशना चाहता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इस सप्ताह चीन के प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा है कि ये ‘परस्पर लाभ के सिद्धांत, सभी के लिए लाभ की स्थिति वाला सहयोग, मुक्त एवं समग्रता पर आधारित प्रस्ताव हैं।’
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