China Organ Harvesting: चीन की काली करतूत आई सामने, जिंदा लोगों के अंग निकालकर ब्लैक मार्केट में कर रहा बिक्री
बीते साल पहली बार रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि चीन राजनीतिक कैदियों और सरकार के खिलाफ रहने वाले लोगों के शरीर से जबरन अंग निकालकर उन्हें बेच रहा है। इन अंगों की काला बाजारी की जाती है।
China Organ Harvesting: चीन को लेकर एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। ऑस्ट्रेलिया और इजरायल के शोधकर्ताओं को ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि चीन जिंदा लोगों के शरीर से अंग निकालकर बेच रहा है। यानी लोगों के ब्रेन डेड होने से पहले ये सब किया जा रहा है। बीते साल पहली बार रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि चीन राजनीतिक कैदियों और सरकार के खिलाफ रहने वाले लोगों के शरीर से जबरन अंग निकालकर उन्हें बेच रहा है। इन अंगों की काला बाजारी की जाती है। लेकिन इसी से जुड़ी एक नई जानकारी अब सामने आई है, उसमें कहा गया है कि ये अंग उस वक्त निकाले जाते हैं, जब इंसान पूरी तरह मृत नहीं होता है।
ये रिसर्च अमेरिकन जरनल ऑफ ट्रांसप्लांटेशन में प्रकाशित हुई है। जिसमें उन हजारों चीनी भाषा में लिखे गए पेपर्स का विश्लेषण किया गया है, जिनमें अंगों के ट्रांस्पलांट का जिक्र है। इसमें पता चला है कि 71 पेपर में डॉक्टरों ने अंगों को ट्रांसप्लांट करने का ऑपरेशन, मरीज के ब्रेन डेड यानी मृत घोषित होने से पहले किया है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी में पीएचडी के छात्र और इजरायल के हर्ट ट्रांसप्लांट के सर्जन एमडी मैथ्यू रॉबर्टसन ने कहा, 'हमने जो पाया वह अनुचित है और ब्रेन डेड होने की झूठी बातें लिखी गई हैं।'
किसी तरह का टेस्ट नहीं हुआ
उन्होंने आगे कहा, 'सर्जन्स ने लिखा है कि डोनर ब्रेन डेड है लेकिन हमें मेडिकल साइंस में जो कुछ भी पता है, उसके मुताबिक, ऐसा हो सकता है कि वह वास्तव में ब्रेन डेड न हुए हों। क्योंकि कोई एम्निया टेस्ट नहीं किया गया है।' ये वो टेस्ट है, जो बताता है कि क्या वाकई में कोई ब्रेन डेड है। उन्होंने कहा, 'ऐसे दो मानदंड हैं, जिनसे हम दावा करते हैं कि कोई ब्रेन डेड है या नहीं। एक वो जिसमें मरीज वेंटिलेटर पर न हो और ब्रेन डेड के बाद ही इंट्यूबेट किया गया हो। और दूसरा सर्जरी शुरू करने से ठीक पहले इंट्यूबेशन किया हो।'
56 अस्पतालों के पेपर मिले
शोधकर्ताओं का कहना है कि बेचने के उद्देश्य से अंगों को निकालकर उनका धंधा करना पूरे चीन में हो रहा है, इसके कोई सेंटर नहीं हैं। ये 71 पेपर 15 प्रांतों के 33 शहरों के 56 अस्पतालों से प्राप्त किए गए हैं। 384 नर्स, सर्जन और अन्य मेडिकल स्टाफ को इन पेपर का लेखक बताया गया है। रॉबर्टसन कहते हैं कि भला वो मेडिकल कर्मी इस तरह के पेपर क्यों प्रकाशित करेंगे। ये साफ नहीं है। रॉबर्टसन कहते हैं, 'मुझे नहीं लगता कि अतीत में अंग प्रत्यर्पण के मामले में चीन के डॉक्टरों की भागीदारी को उतनी गंभीरता से लिए जाने की जरूरत थी, जितनी कि अब है।'
उइगरों के साथ ही यही सुलूक जारी
आपको बता दें, चीन पर ऐसे भी आरोप लगते हैं कि वह शिंजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों के साथ भी यही सुलूक कर रहा है। इन लोगों को कैद करने के लिए यातना शिविर बनाए गए हैं। जहां से लोग अचानक गायब हो जाते हैं। इनके गायब होने के पीछे का कारण होता है, इन्हें मारकर इनके अंगों की कालाबाजारी करना। इन यातना शिविरों में उइगरों के साथ ही राजनीतिक कैदियों को भी रखा जाता है। इस काले काम से चीन हर साल अरबों रुपये कमा रहा है।