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Hindi News विदेश अन्य देश युद्धविराम का आह्वान इजरायल से हमास के सामने सरेंडर करने को कहना है...मगर ऐसा नहीं होगा": नेतन्याहू

युद्धविराम का आह्वान इजरायल से हमास के सामने सरेंडर करने को कहना है...मगर ऐसा नहीं होगा": नेतन्याहू

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि गाजा में सीजफायर करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा का सीजफायर का मतलब इजरायल का हमास के सामने आत्मसमर्पण करने जैसा है और यह होने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पर्ल हार्बर पर हमले के बाद अमेरिका ऐसा नहीं करेगा, उसी तरह इजरायल भी ऐसा नहीं होने देगा।

बेंजामिन नेतन्याहू, इजरायल के प्रधानमंत्री। - India TV Hindi Image Source : AP बेंजामिन नेतन्याहू, इजरायल के प्रधानमंत्री।

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विभिन्न देशों द्वारा गाजा में सीजफायर की मांग के बाद बड़ा बयान दिया है। नेतन्याहू ने कहा कि गाजा में सीजफायर का आह्वान हमास के सामने इजरायल का सरेंडर करने जैसा है और यह हम होने नहीं देंगे। उन्होंने सोमवार को कहा कि यह मामला पर्ल हार्बर पर बमबारी के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थिति के समान है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नेतन्याहू ने कहा कि मैं इजरायल की स्थिति बिलकुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जिस तरह से पर्ल हार्बर पर बमबारी या 9/11 आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका (यूएसए) युद्ध विराम के लिए सहमत नहीं होगा, ठीक उसी प्रकार इजरायल भी 7 अक्टूबर को हमले के बाद अब शत्रुता खत्म करने पर सहमत नहीं होगा। 

युद्ध विराम मतलब आतंक के सामने आत्मसमर्पण
बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के हमले के बाद युद्ध विराम का आह्वान इजरायल से हमास के सामने आत्मसमर्पण करने, आतंक के सामने आत्मसमर्पण करने, बर्बरता के सामने आत्मसमर्पण करने का आह्वान है। मगर ऐसा नहीं होगा।  उन्होंने कहा कि देवियों और सज्जनों बाइबिल भी कहता है कि यह शांति का समय है और यह युद्ध का भी समय है। इसलिए यह लोगों के बेहतर भविष्य के लिए युद्ध का समय है। 

सभी देशों के लिए यह अहम मोड़
नेतन्याहू ने कहा कि सभी देशों के लिए यह अहम मोड़ है। अब हर किसी के लिए यह तय करने का समय आ गया है कि क्या वे आशा और वादे के भविष्य के लिए लड़ने को तैयार हैं या अत्याचार और आतंक के सामने आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। इजरायली पीएम ने कहा कि वह 7 अक्टूबर से युद्ध में हैं। 

बर्बरों से लड़ो
नेतन्याहू ने कहा कि 7 अक्टूबर को हमास ने जो बर्बरता दिखाई वह हमें याद दिलाती है कि बेहतर भविष्य के वादे को तब तक साकार नहीं किया जा सकता, जब तक हम सभ्य दुनिया इसके लिए तैयार नहीं होंगे। इसलिए बर्बरों से लड़ो, क्योंकि बर्बर लोग हमसे लड़ने के लिए तैयार हैं और उनका लक्ष्य स्पष्ट है कि उस वादे और भविष्य को तोड़ दो, हम जो कुछ सपने संजोते हैं, उसे नष्ट कर दो, भय और अंधकार की दुनिया में प्रवेश करो।

इजरायल यह युद्ध जीतेगा
इजरायल के प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सभी राष्ट्रों और उनके नेताओं के लिए बेहद निर्णायक मोड़ है। सब को यह तय करना है कि वह आशा और वादे के भविष्य के लिए लड़ेंगे या आतंक और अत्याचार के सामने सरेंडर करने को तैयार हैं। अब आराम करिये। मगर इजरायल लड़ेगा। पिछले 7 अक्टूबर से ही इजरायल युद्ध में है। इजरायल ने यह युद्ध शुरू नहीं किया, इजरायल यह युद्ध नहीं चाहता था। मगर इजरायल यह युद्ध जीतेगा। 

हमास ने इजरायली बच्चों को उनके माता-पिता के सामने मार डाला
गुस्से से भरे हुए दिख रहे इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने हमास को वित्त पोषित करने के लिए ईरान की भूमिका पर भी सवाल उठाया। नेतन्याहू ने कहा कि हमारे लोगों द्वारा प्रलय के बाद देखी गई सबसे खराब बर्बरता को अंजाम देकर इस युद्ध की शुरुआत की। हमास ने हमारे बच्चों को उनके माता-पिता के सामने मार डाला। फिर मां-बाप की भी हत्या कर दी। उन्होंने लोगों को जिंदा जला दिया, महिलाओं के साथ बलात्कार किया, पुरुषों का सिर काट दिया। नेतन्याहू ने कहा कि लोग इस बर्बर नरसंहार से बच गए, उनका अपहरण कर लिया। फिर उनके साथ अत्याचार किया। हमास ने सबसे भयानक अपराध किए जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। बच्चों का भी अपहरण कर लिया। हमास उस बुराई की धुरी का हिस्सा है, जिसे ईरान ने बनाई है। 

ईरानी आतंक की धुरी है हमास
नेतन्याहू ने कहा कि आतंक की यह धुरी गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हौथिस व पूरे मध्य-पूर्व और उसके परे अन्य आतंकी प्रॉक्सी को हथियार, वित्तपोषण और प्रशिक्षण मिलने से काम करती है। हमास और आतंक की इस ईरानी धुरी से जंग में, इजरायल सभ्यता के दुश्मनों से ही लड़ रहा है। दुश्मनों पर जीत नैतिक स्पष्टता और अच्छे बुरा का अंतर जानने से शुरू होती है। जब तक हमास द्वारा फिलिस्तीनियों को ढाल बनाने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय समुदाय इजरायल को दोषी ठहराता रहेगा, तब तक आतंकवादी समूह इसे आतंक के उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना जारी रखेगा और अन्य भी ऐसा ही करेंगे। इसलिए ऐसे दुश्मनों पर जीत न्यायसंगत युद्ध है। 

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