लाहौर: पाकिस्तान ने अपने ही देश के मुसलमानों के साथ हिंसा और जुर्म की सारी हदें पार कर दी हैं। खासकर अहमदिया मुसलमानों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र समर्थित स्वतंत्र विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है। यूएन ने पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ बढ़ते भेदभाव एवं हिंसा पर चिंता जताई और अधिकारियों से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। ये विशेषज्ञ मानवाधिकार परिषद के अधीन काम करते हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की ओर से नहीं बोलते हैं।
उन्होंने एक विज्ञप्ति में कहा कि अहमदियों के प्रति भेदभाव और हिंसा की रिपोर्ट से उन्हें स्थिति की गंभीरता का पता चला। अहमदी लोग मिर्जा गुलाम अहमद के अनुयायी हैं, जिन्होंने एक ‘इस्लामी मसीहाई’ आंदोलन शुरू किया था जिसकी शुरुआत 19वीं सदी के अंत में हुई थी। विशेषज्ञों ने कहा, ‘‘ हम पाकिस्तान के अधिकारियों से अपील करते हैं कि तत्काल स्थिति का समाधान करने के लिए कदम उठाएं।’’ उन्होंने इस महीने की शुरुआत में हुई दो घटनाओं का उल्लेख किया जिनमें अहमदिया समुदाय के दो लोगों की हत्या कर दी गई। पुलिस ने उस समय कहा था कि उसने हमलावरों को गिरफ्तार किया है।
अहमदिया को धार्मिक उत्सवों में शामिल होने से रोकता है पाकिस्तान
विशेषज्ञों ने विज्ञप्ति में अहमदिया समुदाय के लोगों को मनमाने तरीके से गिरफ्तार करने और उन्हें उनके धार्मिक उत्सवों में शामिल होने से रोकने के आरोपों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘‘ अहमदिया को अधिकार है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपने मत का अनुपालन करें और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।’’ पाकिस्तान की संसद ने 1974 में अहमदिया को गैर मुस्लिम करार दिया। तब से ही उन्हें लगातार इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। अहमदिया के खिलाफ हिंसा एवं भेदभाव की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों द्वारा निंदा की जा रही है। (एनी)
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